इंदौर, 24 अप्रैल 2025 : इंदौर में अधिवक्ता परिषद की जिला न्यायालय एवं उच्च न्यायालय इकाई ने “वर्तमान न्याय सुधार एवं न्याय प्रणाली” विषय पर महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन इंदौर कमिश्नर को सौंपा। यह ज्ञापन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रस्तावों और देशभर के अधिवक्ताओं व विशेषज्ञों के सुझावों पर आधारित है।
ज्ञापन में उठाई गई प्रमुख मांगें
ज्ञापन में न्याय व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए कई अहम बिंदु शामिल किए गए। प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु नया कानून बनाया जाए।
- न्यायपालिका से जुड़े व्यक्तियों की राय को महत्व दिया जाए।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के परिजनों को उनके कार्यकाल या सेवानिवृत्ति तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने से रोका जाए।
- उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के स्थानांतरण के दौरान, यदि उनके परिजन संबंधित न्यायालय में वकालत कर रहे हों, तो स्थानांतरण से पहले नोटिस दिया जाए।
कार्यक्रम में अधिवक्ताओं की सक्रिय भागीदारी
इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय मंत्री विक्रम दुबे, राष्ट्रीय विशेष आमंत्रित सदस्य स्वाति उखले, प्रांत अध्यक्ष उमेश यादव, महामंत्री वाल्मिक शकरगाय, उच्च न्यायालय इकाई अध्यक्ष सुनील जैन, महामंत्री प्रसन्ना भटनागर, इंदौर अभिभाषक संघ अध्यक्ष लखनलाल यादव, जिला न्यायालय इकाई उपाध्यक्ष विजय देवांग, महामंत्री शिरीष दुबे, सीमा शर्मा, प्रांत मीडिया प्रभारी नीरज गौतम, कपिल शर्मा, सदाशिव खंडोरे, प्रबल भार्गव, मनीष गुप्ता, विजय कुमार नागपाल, राजवर्धन गावडे, शशिकांत भाटी सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में महिला अधिवक्ताओं की उल्लेखनीय भागीदारी भी देखने को मिली, जो न्याय प्रणाली में सामाजिक समावेशिता का संकेत है।
ज्ञापन का वाचन अधिवक्ता अभिजीत सिंह राठौर ने किया, जबकि कार्यक्रम की जानकारी कार्यालय मंत्री देवदीप सिंह द्वारा दी गई। यह आयोजन अधिवक्ताओं की न्यायिक सुधारों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अधिवक्ता परिषद ने इस ज्ञापन के माध्यम से आशा जताई कि उनकी मांगे जल्द ही केंद्र सरकार और न्यायपालिका द्वारा गंभीरता से ली जाएंगी। परिषद ने इसे न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और जनहितकारी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।