इंदौर बना पत्रकारिता का घराना, भाषाई पत्रकारिता को मिला नया मंच
इंदौर, 07 अप्रैल 2025: इंदौर प्रेस क्लब के 63वें स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव का उदघाटन हुआ। उद्घाटन समारोह में सांसद शंकर लालवानी, कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई सहित कई विशिष्टजन उपस्थित रहे। सभी ने मूर्धन्य पत्रकारों को श्रद्धांजलि देते हुए इंदौर की पत्रकारिता पर गर्व जताया।
पत्रकारिता का इंदौर घराना: परंपरा और पहचान
पहले सत्र में राजेश बादल, जयदीप कर्णिक, यशवंत व्यास, सईद अंसारी और विजय मनोहर तिवारी जैसे वरिष्ठ पत्रकारों ने इंदौर को “पत्रकारिता का घराना” बताया। नईदुनिया की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा गया कि यह अखबार पत्रकारिता की पाठशाला रहा है।
एआई: चुनौती या अवसर?
दूसरे सत्र में “एआई का धमाल – नौकरी लेगा या करेगा कमाल” विषय पर चर्चा हुई। एनडीटीवी, नई दिल्ली के सीनियर एडिटर हिमांशु शेखर ने कहा कि न्यूज एजेंसी के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं सोशल मीडिया और चेटबोर्ड। एआई एंकर को न्यूज एंकर के रूप में स्वीकृति देना मुश्किल है, क्योंकि इनमें ह्यूमेन इंटरफेस की कमी है। अमर उजाला नई दिल्ली के डिजिटल संपादक जयदीप कर्णिक कहा कि कोई भी तकनीक मानवीय रोजगार समाप्त करने के लिए नहीं बल्कि उसे चुनौती देने के लिए आती है। डिजिटल सेवाएं, मल्टीमीडिया, सोशल मीडिया एवं फैक्ट चेकिंग पीटीआई नई दिल्ली के हेड प्रत्यूष रंजन ने कहा कि एआई पत्रकारिता के लिए नहीं बल्कि कमजोर और आलस से भरी पत्रकारिता के लिए खतरा है। एआई का उपयोग करने से पहले दो बिंदुओं की जांच करना जरूरी है जैसे एआई के सूत्र क्या हैं और उसकी नीतियां क्या हैं। वेबदुनिया हिंदी पोर्टल के वरिष्ठ पत्रकार विनय छजलानी ने कहा कि एआई से हमारी नौकरियां तब तक ही सुरक्षित रहेंगी, जब तक हम इसे अपने नौकर की तरह इस्तेमाल करेंगे। इस सत्र के मॉडरेटर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन प्रकाश थे।
अखबारों से सिमटता साहित्य: चिंता और चुनौतियां
तीसरे सत्र में वरिष्ठ पत्रकारों ने साहित्य की घटती उपस्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कार्पोरेट कल्चर और कॉपी-पेस्ट दौर में संवेदना और गुणवत्ता घट रही है। अखबारों को साहित्यिक संवेदना को पुनः स्थान देना चाहिए।
कबीर भजनों की संध्या से समापन
कॉन्क्लेव का समापन पद्मश्री भेरूसिंह चौहान के भजनों से हुआ। संत कबीर और मीराबाई की रचनाओं ने आयोजन को आध्यात्मिक छाया दी।
इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव ने न सिर्फ पत्रकारिता की जड़ों को पहचान दिलाई, बल्कि भविष्य की चुनौतियों पर विचार भी प्रस्तुत किया। यह आयोजन पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रेरक पहल साबित हुआ।