ये कैसी आचार संहिता देर रात तक खुले हैं पब….. ?
मंत्री के करीबी ने किया प्राणघातक हमला
पॉवर, पॉलिटिक्स और मीडिया के सामने नतमस्तक प्रशासन….!
इंदौर
मध्य प्रदेश के महानगर इंदौर में इन दिनों अपराध का जो स्वरूप सामने आ रहा है, उसमें धन, बल और राजनीतिक शक्ति से सम्पन्न लोग आपस में ही उलझते नजर आ रहे हैं। इस तरह के वाद-विवाद और खूनी हमलों के बीच प्रशासन कटघरे में नजर आ रहा है। शक्ति सम्पन्न लोगों का आचार संहिता के दौरान देर रात पब में पार्टी करना, मदहोशी में एक दूसरे पर टीका-टिप्पणी करना और इससे उपजे विवाद का प्राणघातक हमले में तब्दील हो जाना अब कोई नई बात नहीं बची है। इधर पुलिस और प्रशासन भी अब तो साफ तौर पर पावर और पॉलिटिक्स के सामने नतमस्तक नजर आ रहा है। सूत्रों की माने तो कल देर रात पलासिया पुलिस थाने से महज चंद कदमों की दूरी पर स्थित शेखर सेंट्रल मॉल में खनन व्यवसाय से जुड़े तेजिंदर सिंह घुम्मन और उनके साथ सक्षम राठौर और दिलीप पुरोहित एक पब में मौजूद थे। यहाँ मप्र के कैबिनेट मंत्री तुलसीराम सिलावट के करीबी यश सिलावट भी अपने साथियों के साथ मौजूद थे।
मिली जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों में किसी बातचीत को लेकर कहासुनी शुरू हो गई। विवाद बढ़ता देख पब प्रबंधन ने यश सिलवट और उनके साथियों को बलपूर्वक बाहर कर दिया है। बताया जाता है इससे आहत यश सिलावट ने पब की पार्किंग में अपने साथियों को बुलाया और पब से नीचे उतरे तेजिंदर घुम्मन और उनके साथियों पर हमला कर दिया। इस हमले में सक्षम राठौर और दिलीप पुरोहित पर हथियारों से हमला किया गया है।
ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि आखिर किसकी अनुमति से पब देर रात तक आचार संहिता के दरमियान खुला रहा? दूसरा सवाल ये भी है कि आचार संहिता के दौरान जब तमाम लाइसेंसी हथियार जमा करा लिए जाते हैं, तब मंत्री के करीबी और उनके साथियों के पास हथियारों का होना और उन हथियारों को देर रात साथ रखकर प्राणघातक हमला करना पुलिसिया बंदोबस्त पर बड़ा सवाल है?
हालांकि इस हाई प्रोफाइल मामले में खबर लिखे जाने तक किसी भी पक्ष की ओर से प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हम आपको बता दें कि तेजिंदर सिंह घुम्मन खनन कारोबार के साथ साथ टीवी केबल व्यवसाय (सेवा प्रदाता) से भी जुड़े हुए हैं। घुम्मन बंधुओं को सत्ता का करीबी माना जाता है। उधर इंदौर शहर के प्रेस संगठन ने इस विवाद को मीडिया पर हमले से जोड़ दिया है। जबकि न तो घुम्मन यहाँ कवरेज करने पहुंचे थे और न ही घुम्मन प्रत्यक्ष रूप से मीडिया समूह से जुड़े हुए हैं और न ही प्रत्यक्ष किसी समाचार सामग्री से वास्ता रखते हैं और न ही विवाद की वजह कोई प्रकाशित-प्रसारित खबर रही थी। ऐसे में इस तरह के विवादित लोगों को मीडिया पर हमले से जोड़कर देखना एथिकल प्रैक्टिस नहीं कहा जा सकता है।
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