इंदौर 5 मार्च

भारत में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जुवेनाइल जस्टिस (JJ) एक्ट, 2015 लागू किया गया है। यह कानून उन नाबालिग बच्चों की सुरक्षा, पुनर्वास और अधिकारों को सुनिश्चित करता है जो किसी अपराध में संलिप्त पाए जाते हैं या संकटग्रस्त स्थिति में होते हैं। इस कानून की धारा 25 विशेष रूप से यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता, भले ही वह किसी अपराध में आरोपी हो


क्या कहती है जेजे एक्ट की धारा 25?

धारा 25:
“किसी भी बालक, जिसे इस अधिनियम के तहत बाल न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया गया हो, को किसी भी परिस्थिति में उसके स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा और न ही उसके अधिकारों, विशेष रूप से शिक्षा के अधिकार को बाधित किया जाएगा।”

सरल शब्दों में

  • कोई भी स्कूल या शिक्षण संस्थान किसी बच्चे को निष्कासित नहीं कर सकता यदि वह किसी अपराध में आरोपी है।
  • शिक्षा प्राप्त करना बच्चे का मूल अधिकार है और किसी भी कारण से उसे इससे वंचित नहीं किया जा सकता।
  • यदि कोई स्कूल ऐसा करता है, तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

धारा 25 का महत्व

  1. बच्चों के पुनर्वास और सुधार पर जोर – यदि कोई बच्चा किसी अपराध में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे सजा देने के बजाय सुधार और पुनर्वास का अवसर दिया जाना चाहिए।
  2. शिक्षा से वंचित करना गलत – स्कूल से निकालने से बच्चे का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। यह उसे समाज से अलग-थलग कर सकता है और अपराध की ओर धकेल सकता है।
  3. बाल अधिकारों की रक्षा – यह धारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR और राज्य आयोग) को शक्ति देती है कि वे ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर बच्चों को उनका अधिकार दिलाएं।

इंदौर स्कूल निष्कासन मामला: धारा 25 का उल्लंघन?

हाल ही में, इंदौर के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल ने 14 वर्षीय छात्रों को साइबर अपराध से जुड़े एक मामले में निष्कासित कर दिया। स्कूल प्रबंधन ने छात्रों को स्कूल में प्रवेश देने से इनकार कर दिया, जो जेजे एक्ट की धारा 25 का सीधा उल्लंघन है

बाल आयोग का हस्तक्षेप

इस मामले में मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है और इंदौर जिला शिक्षा अधिकारी को जांच का निर्देश दिया है। यदि स्कूल को दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।


धारा 25 का पालन सुनिश्चित करने के लिए उपाय

  1. स्कूलों में जागरूकता अभियान – शिक्षकों और प्रशासन को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि वे छात्रों को निष्कासित नहीं कर सकते।
  2. बाल न्याय बोर्ड (JJB) की भूमिका – यदि कोई मामला आता है, तो JJB को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे की शिक्षा बाधित न हो।
  3. शिकायत और कार्रवाई – यदि किसी स्कूल ने बच्चे को निष्कासित किया, तो अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) या बाल आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं
  4. समाज की जिम्मेदारी – शिक्षण संस्थानों और समाज को यह समझना होगा कि बच्चों का पुनर्वास और सुधार ही सर्वोत्तम समाधान है, न कि उनका बहिष्कार

निष्कर्ष

जेजे एक्ट की धारा 25 नाबालिग बच्चों को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करती है, भले ही वे किसी अपराध में शामिल पाए जाएं। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के दुष्प्रभावों को रोकना और उन्हें समाज में पुनः स्थापित करना है। इंदौर की हालिया घटना यह दर्शाती है कि कुछ स्कूल इस कानून का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

यदि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित किया जाता है, तो अभिभावक और बाल अधिकार संगठनों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

अपडेट खबरों के लिए देखते रहिए newso2.com और यूट्यूब पर ‘इंदौर वार्ता’।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

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