क्या आरोपियों को मिलेगी सजा ?
फर्जी रजिस्ट्री, कूटरचित दस्तावेज़ बनाकर की करोड़ों की हेरा फेरी
इंदौर, 19 जुलाई 2024
मध्य प्रदेश के इंदौर की सांवेर तहसील के सिलोया गाँव की किसानों की जमीन की हेरा फेरी कर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। हालांकि इन ज़मीनों का करोड़ों का घोटाला हो पाता, इसके पहले स्थानीय पटवारी की सजगता से इस मामले की पोल खुल गई है। इस मामले में, इस भ्रष्टाचार से जुड़े सभी लोग पर्दा डालने की कोशिश करते रहे हैं और बाले-बाले इन लोगों ने किसानों की रजिस्ट्री शून्य करवाकर पटाक्षेप करने का प्रयास किया है लेकिन इस मामले में अब कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें जा पहुंची हैं। अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज़ बनाना, फर्जी रजिस्ट्री तैयार करना जैसी गंभीर अपराधों में प्रकरण कब दर्ज होता है और आरोपियों को कब तक सजा मिल पाती है। आपको बता दें सबसे पहले न्यूज ओ 2 ने इस मामले में खुलासा किया था।
क्या है मामला
इंदौर-उज्जैन रोड पर बसे सिलोया गांव के आधा दर्जन किसानों की चालीस बीघा जमीन की फर्जी रजिस्ट्री और कूटरचित दस्तावेज़ बनाकर रमेश माहेश्वरी के नाम हो गई। सूत्रों के अनुसार इस खेल के सूत्रधार वेदिका रियल स्टेट कंपनी के नाम से ब्रोकरेज का काम करने वाले संजय चौधरी बिसनावदा हैं। किसानों के आधार कार्ड निकलवाकर उन पर फर्जी फोटो लगाकर रजिस्ट्रार कार्यालय में पेश कर जमीन की रजिस्ट्री करवा दी। वहां जमीन तीन से चार करोड़ रुपए बीघा है। करीब सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन है। किसानों को इस फर्जीवाड़े की कानोकान खबर तक नहीं हुई। वे खेती करते रहे। जब पटवारी के पास नामांतरण के लिए आवेदन आए, तब पटवारी दिव्या नायक ने मामले की तफ़्तीश करते हुए किसानों से पूछताछ की कि उन्होने अपनी जमीन कब और किसे बेची है ? किसान यह सुनते ही अवाक रह गए। उन्होने कहा कि उन्होने अपनी जमीन किसी को भी नहीं बेची है।
इंदौर के रजिस्ट्री कार्यालय पर भी उठ रहे सवाल
इस मामले में इंदौर के रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री हुई है। रजिस्ट्री से पहले आधार कार्ड से संबंधित का नाम, फोटो और अंगूठे के निशानों का मिलान किया जाता है। सवाल है कि बिना जांच पड़ताल किए रजिस्ट्री कैसे कर दी गई थी ? ऐसे में रजिस्ट्रार की भूमिका संदेह के घेरे में है।
रजिस्ट्री करवा दी शून्य
मामला गरमाने के बाद आनन फानन में रजिस्ट्री शून्य करवाने की कवायद की गई । पीड़ित ग्राम वासियों ने बताया कि जब हमने मामले की शिकायत की तो हमें चुप रहने को कहा गया और बताया कि रजिस्ट्री निरस्त करवा देंगे। आरोपियों ने रजिस्ट्री शून्य भी करवा दी। रजिस्ट्री शून्य होने से खरीददार को करीब पांच से आठ करोड़ रुपए का फटका लगने की बात कही जा रही है। इस बात की भी सूचना है कि एक कबीना मंत्री के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ लेकिन अब बात मुख्यमंत्री तक जा पहुंची है।
मामले में अपरोक्ष रूप से आरोपों से घिरे संजय चौधरी से संपर्क करना चाहा तो पहले तो उन्होने फोन ही नहीं उठाया, उसके बाद अपने आपको उनका सहयोगी बता रहे एक शख्स ने इतना कहा कि मामले में रजिस्ट्रियाँ रद्द करा दी गई हैं। जिसके बाद यह मामला खत्म हो चुका है। इस बात से भी स्पष्ट है कि संजय चौधरी ये तो स्वीकार कर रहे हैं कि इस तरह का फर्जीवाड़ा हुआ है। न्यूजओ2 द्वारा मामला उजागर करने पर चौधरी और उनके सहयोगियों ने झटपट रजिस्ट्री शून्य कराकर खुद को बचाने का प्रयास किया लेकिन
सवाल ये है कि जमीन मालिकों की सहमति के बगैर से आखिर बाले-बाले सौदा कैसे कर लिया गया और यह सौदा किससे कर लिया गया ? दस के लगभग बाले-बाले हुई रजिस्ट्रियों में संबन्धित पंजीयकों ने क्या कुछ जांचा- परखा ? आखिर कैसे फर्जी विक्रेताओं ने बाले-बाले लेन-देन कर लिया ?
रजिस्ट्री के बाद मेरे पास नामांतरण के लिए फाइल आई तो नियमानुसार हमने किसानों से पूछताछ की। तब किसानों के संज्ञान में आया कि उनकी जमीन बिक गई है रजिस्ट्री हो गई और उन्हें पता भी नहीं चला। उन्होंने दावे-आपत्ति लगा कर रजिस्ट्री शून्य करवाई।- दिव्या नायक, पटवारी