देश की शीर्ष नौकरशाही में 45 पदों को लेटरल एंट्री के जरिए भरने का विज्ञापन जारी होने के बाद से विपक्षी दलों ने सरकार पर आरक्षण छीनने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने सरकार की नीति की आलोचना की है।

क्या है लेटरल एंट्री और क्यों है यह विवाद?

लेटरल एंट्री एक प्रक्रिया है जिसमें निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सरकारी नौकरियों में सीधे भर्ती किया जाता है। यह प्रक्रिया वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब यह विवाद का विषय बन गई है। सरकार का कहना है कि लेटरल एंट्री से विशेषज्ञता और क्षमता का लाभ मिलेगा, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह आरक्षण की अनदेखी है और सरकार की नीति भेदभावपूर्ण है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।