मध्य प्रदेश में ईपीएफ और श्रम क़ानूनों के शिथिलीकरण को लेकर क्या बोले श्रम मंत्री ?मध्य प्रदेश में ईपीएफ और श्रम क़ानूनों के शिथिलीकरण को लेकर क्या बोले श्रम मंत्री ?

मध्य प्रदेश में ईपीएफ और श्रम क़ानूनों के शिथिलीकरण को लेकर क्या बोले श्रम मंत्री ?

इंदौर

मध्य प्रदेश के इंदौर में भाजपा द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में पंचायत और ग्रामीण विकास श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जहां तक संगठित क्षेत्रों के श्रमिकों, कर्मचारियों की बात है ऐसी कोई बड़ी अनियमितता सामने नहीं आई है। उन्होने राज्य सरकार का बचाव करते हुए कहा कि श्रम क़ानूनों के शिथिल होने जैसी बातें व्यापक तौर पर सामने नहीं आई हैं। उन्होने आश्वस्त किया कि यदि कहीं कोई अनियमितता से संबन्धित शिकायत मिलती है तो वे विधिवत कार्यवाही करेंगे।

आपको बता दें कि मप्र सरकार ने ओध्योगीकरण के विस्तार और नए रोजगार के सृजन के मद्देनजर मप्र में तमाम श्रम क़ानूनों को शिथिल करते हुए उदार रवैया अख़्तियार किया है। इसके साथ ही विभिन्न शासकीय महकमों, रेगुलेशन अथॉरिटी के नियमों को भी बेहद कमतर कर दिया है। उधयोगपतियों को जमीन और अन्य आवाश्यक सुविधाएं मुहैया कराकर बीते 20 वर्षों में राज्य सरकार सतत प्रयास कर रही है। इसी के चलते राज्य के तमाम जिलों के श्रम कार्यालयों में श्रमिकों की शिकायतों में वृद्धि भी देखी गई है। सोमवार को यहाँ जब श्रम मंत्री से यह सवाल पूछा कि राज्य सरकार के सकारात्मक उदार रवैये का कई कारपोरेट घराने और नियोक्ता बेंजा लाभ उठा रहे हैं, वे श्रमिकों का ईपीएफ तो काटते हैं लेकिन विधिवत नियमित रूप से जमा कराने से परहेज करते हैं। इसके साथ ही मप्र में श्रमिकों के शोषण के मामले भी सामने आ रहे हैं। उन्होने साफ कहा कि यदि उनके पास कोई शिकायत पहुँचती है तो वो कार्यवाही करेंगे। उल्लेखनीय है पटेल यहाँ भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र (मोदी की गारंटी) की जानकारी साझा करने पहुंचे थे। यहाँ उन्होने केंद्र और राज्य सरकार की अनेक उपलब्धियों की जानकारी साझा की और एक बार फिर मोदी सरकार का नारा देकर मतदाताओं से मतदान की अपील की।

By Jitendra Singh YADAV

जितेंद्र सिंह यादव – वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक जितेंद्र सिंह यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिनका पत्रकारिता में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में वे यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) के साथ कार्यरत हैं और स्वतंत्र विश्लेषक के रूप में भी सक्रिय हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ, वे एक आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं और समाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनहित याचिकाएँ (PILs) दाखिल कर चुके हैं। उनकी रिपोर्टिंग और सामाजिक सक्रियता ने कई अहम मुद्दों को उजागर किया है, जिससे आम जनता को न्याय और पारदर्शिता प्राप्त करने में सहायता मिली है। विशेषज्ञता और योगदान राजनीतिक विश्लेषक एवं स्वतंत्र आलोचक: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़ रखते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता: आरटीआई के जरिए सरकारी पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय प्रयास। पशु अधिकारों के पैरोकार: प्रसिद्ध एनजीओ "पीपल्स फॉर एनिमल्स" (इंदौर यूनिट) के सलाहकार। पत्रकारिता जगत में नेतृत्व: "Save Journalism Foundation" के संस्थापक। "इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन" के संस्थापक, जो पत्रकारों के अधिकारों के लिए कार्यरत है। समाज में प्रभाव पत्रकारिता और सामाजिक कार्यों के जरिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण बदलाव लाने में योगदान दिया है। उनकी निष्पक्ष और निर्भीक रिपोर्टिंग, जनहित में उठाए गए कदम और आरटीआई अभियानों ने उन्हें मध्यप्रदेश सहित पूरे भारत में एक प्रभावशाली पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्थापित किया है।