इंदौर, 10 अप्रैल 2025
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद इंदौर द्वारा महावीर जयंती के पावन अवसर पर गुरुवार को एक भव्य स्वर्ण रथ समारोह का आयोजन किया गया। इस चल समारोह में इंदौर के विभिन्न जैन मंदिरों, जैन सोशल ग्रुपों और सामाजिक संगठनों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। आकर्षक झांकियों के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन संदेशों को जीवंत किया गया।
खरोंआ समाज की झांकी बनी आकर्षण का केंद्र
सतीश जैन ने विज्ञप्ति जारी आकर बताया खरोंआ समाज द्वारा प्रस्तुत झांकी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इसमें मां त्रिशला के 16 स्वप्न, भगवान महावीर का जन्म कल्याणक, आहार विधि, समोशरण की रचना और दिव्य ध्वनि को सुंदर रूप में दर्शाया गया। इसके साथ ही निर्माणाधीन दिगंबर जैन त्रिमूर्ति धाम की भव्यता को स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया।
लाल मंदिर नरसिंहपुर समाज की भावनात्मक प्रस्तुति
दिगंबर जैन नरसिंहपुर समाज, लाल मंदिर द्वारा माता त्रिशला द्वारा भगवान महावीर को जन्म देने का दृश्य प्रस्तुत किया गया। इस झांकी ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया और समारोह में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।
अहिंसा और उपदेशों का प्रचार करती झांकियां
भव्य रथयात्रा में शामिल विशाल जैन समूहों ने भगवान महावीर के पंच महाव्रत—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह—को बगिया और सुसज्जित वाहनों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। जैन स्टडी ग्रुप ने अत्यंत शालीनता से भगवान के उपदेशों को झांकी में प्रस्तुत किया।

बघेरवाल समाज ने दिखाई संत महाकुंभ की झलक
बघेरवाल समाज इंदौर द्वारा आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज को पट्टाचार्य पदवी से अलंकृत किए जाने वाले आगामी जैन संत महाकुंभ की झलक एक विशेष झांकी के माध्यम से दिखाई गई। इस झांकी के केंद्र में प्रयागराज की तर्ज पर विशाल स्वर्णकलश स्थापित किया गया, जो संत महाकुंभ का प्रतीक बना।
‘जियो और जीने दो’ का संदेश गूंजा
ओम विहार कॉलोनी द्वारा प्रस्तुत झांकी में पंडित श्री रतनलाल जी शास्त्री को विनयांजलि अर्पित की गई। भगवान महावीर के दस भवों को रोचक रूप में दर्शाया गया। ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिव्यध्वनि के माध्यम से पूरे वातावरण में गूंज उठा।
महिला मंडल ने अष्टकुमारी दृश्य किया प्रस्तुत
समारोह में महिला मंडल ने भगवान महावीर के जीवन से जुड़ा अष्टकुमारी दृश्य अत्यंत मनोहारी ढंग से प्रस्तुत किया, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
धार्मिक आस्था और सामाजिक समरसता का संगम
यह भव्य स्वर्ण रथ समारोह भगवान महावीर के त्याग, तपस्या और करुणा के आदर्शों को स्मरण करने का प्रेरणास्रोत बना। जैन समाज की एकजुटता और सामाजिक समरसता ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।