विवादित धार भोजशाला धार्मिक स्थल मामले में एएसआई को 15 जुलाई तक सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने का हाई कोर्ट ने दिया निर्देश, आज की सुनवाई में किसने क्या रखा पक्ष और क्या कहा कोर्ट ने…?

नेहा जैन, इंदौर

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04 जुलाई 2024

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज धार की विवादित धार्मिक स्थल भोजशाला मामले की सुनवाई की है। युगलपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति एस ए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति डी वी रमन्ना ने प्रकरण में लगी जनहित याचिकाओं के पक्षकारों की दलीलें सुनीं। युगलपीठ ने आर्किओलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI ) के अधिवक्ता हिमांशु जोशी के द्वारा सर्वे रिपोर्ट सौंपने के लिए मोहलत मांगे जाने पर आगामी 15 जुलाई तक रिपोर्ट सुपुर्द करने के निर्देश दिये हैं।

याचिका में मौलाना कमालउद्दीन के अध्यक्ष समद खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने वीडियो कोन्फ्रेंस के माध्यम से पक्ष रखा। खुर्शीद ने मांग की कि एएसआई द्वारा भोजशाला स्थल में की जा रही खुदाई और सर्वे कार्य को तत्काल रोका जावे। जिस पर एएसआई के अधिवक्ता जोशी ने कोर्ट को बताया कि चूंकि बारिश जारी है और इस दौरान सर्वे कार्य के लिए की गई खुदाई की मरम्मत किया जाना जरूरी है। यदि भोजशाला सर्वे स्थल को दोबारा दुरुस्त नहीं किया गया तो यहाँ बनी मजार को नुकसान हो सकता है। जिस पर न्यायालय ने सर्वे के लिए की गई खुदाई और अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए या ये कहें दुरुस्त करने के लिए अनुमति दे दी है। युगल पीठ ने मामले की आगामी सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की है।

आपको बता दें कि इसी भोजशाला परिवार को लेकर विश्व जैन संगठन ने भी अपना अधिकार बताते हुए एक याचिका पृथक से दायर की है। जैन समाज की ओर से उपस्थित हुए अधिवक्ता ने उनकी याचिका को मुस्लिम पक्ष और हिन्दू पक्ष की याचिकाओं के साथ जोड़कर सुनवाई किए जाने की प्रार्थना की है। इस पर न्यायालय ने जैन समाज की याचना को अलग से सुने जाने की व्यवस्था दी है। इसका अर्थ है कि जैन समाज के पक्ष को न्यायालय जारी दोनों हिन्दू व मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं के साथ नहीं सुनेगा। जैन समाज की याचिका को अब भविष्य में अलग से सुना जा सकता है।

हिन्दू-मुस्लिम और जैन समाज के क्या हैं अपने अपने दावे ?

उल्लेखनीय है धार भोजशाला विवादित स्थल को लेकर हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस नामक संस्था ने 2 मई 2022 को एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में धार भोजशाला धार्मिक स्थल को हिंदुओं का धार्मिक स्थान बताते हुए हिन्दू पक्ष को सौंपने की मांग की है जबकि धार की मौलाना कमालूद्दीन वेल्फ़्यर सोसाइटी के अध्यक्ष समद खान ने एक जनहित याचिका दायर कर इस विवादित स्थल पर मुस्लिम पक्ष का अधिकार बताया है। उधर हाल ही में विश्व जैन संगठन की ओर से भी एक याचिका प्रस्तुत करते हुए विवादित स्थल के जारी सर्वे में अंबिका देवी और सरस्वती देवी की प्रतिमाएँ निकालने का दावा करते हुए इस विवादित स्थल पर जैन समाज का अधिकार बताया है।

अभी हिन्दू-मुस्लिम दोनों करते हैं यहाँ इबादत और प्रार्थना

भोजशाला विवादित स्थल पर हिन्दू पक्ष यहाँ पुरातात्विक मंदिर होने का दावा करते हैं तो मुस्लिम पक्ष इस स्थल पर अपना दावा करते हैं ।  यहाँ मौजूदा व्यवस्था के तहत हिन्दू पक्ष को मंगलवार को पूजा-अर्चना करने की अनुमति है जबकि मुस्लिम पक्ष शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक यहाँ नमाज अता कर सकते हैं।