इंदौर, 11 जून 2024

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज उस याचिका पर अन्तरिम आदेश जारी किया है जिसमें पिपलियाना, बिचोली हप्सी, कांकड़ क्षेत्र के दर्जनों परिवारों को बेघर करने का एक तरह से अभियान चलाया जा रहा है। दरअसल यह अभियान कोई और नहीं बल्कि इंदौर नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अमले द्वारा युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है। नगर निगम, इस अभियान का उद्देश्य जहां प्रस्तावित (मास्टर प्लान के तहत) आरई 2 सड़क निर्माण कार्य में कथित तौर पर बाधा बन रहे पक्के मकानों को हटाने की कवायद बता रहा है तो वहीं इस कार्यवाही से प्रभावित और पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें 1998 से लेकर बीते कुछ वर्षों में विधिवत पट्टे देकर इस भूमि पर बसाया गया है।

उधर पीड़ित पक्षों (गेंदा लाल, रेशम बाई और अन्य) की ओर से कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता नंदलाल तिवारी की माने तो नगर निगम या अन्य कोई शासकीय एजेंसी इस तरह के मामलों में अचानक और बलपूर्वक कार्यावाही नहीं कर सकती है। पट्टा अधिनियम का उल्लंघन करके वर्षों से बसे इन परिवारों का घर तोड़ने की कार्यवाही को हमने माननीय न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी। अवकाश के दिनों में भी आज विशेष रूप से गठित युगल पीठ के न्यायधिपति मिलिंद रमेश फड़के और न्यायधीश बी के द्विवेदी ने मामले की सुनवाई करते हुए फिलवक्त नगर निगम की बलपूर्वक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। मामले की आगामी सुनवाई 1 जुलाई 2024 को मुकर्रर की गई है।

सुनवाई का अवसर तक नहीं दिया- अधिवक्ता तिवारी

पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नंदलाल तिवारी ने बताया,” पीड़ितों को पट्टा अधिनियम 1984 के तहत पट्टे प्रदान किए गए हैं। अत: इस तरह पीड़ितों को पट्टा अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह संरक्षण प्राप्त है कि उन्हें अचानक हटाया नहीं जा सकता है। किन्हीं जनहित की आवाश्यक परिस्थितियों में उन्हें हटाने जाने से पहले ऐसे मामलों में एक हाई पावर कमेटी, पीड़ितों को उचित सुनवाई का अवसर देकर न्यायसंगत कार्यवाही करेगी।  साथ ही इस तरह विस्थापित किए गए पट्टेदारों को वैकल्पिक स्थान पट्टे पर जमीन उपलब्ध कराएगी।

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325 परिवार शिफ्ट- निगम

उधर सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर निगम आयुक्त शिवम वर्मा और अधीक्षण यंत्री डी आर लोधी ने दावा किया था कि आरई2 रोड में बाधक बिचौली हप्सी , कांकड़ में कुल 265 मकानों में 325 परिवार निवासरत थे जिनमें से 184 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नीलगिरी परिसर में शिफ्ट कर दिया गया है। शेष परिवारों को भी शिफ्ट किए जाने के प्रयास जारी हैं।

पैसे लेकर दे रहे हैं पीएम आवास – रहवासी

याचिकाकर्ताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पट्टा अधिनियम के तहत यह भूमि आवंटित की गई थी। उन्हें जमीन के बदले जमीन देने का प्रावधान है। प्रशासन हमें जो पी एम आवास योजना के तहत घर का विकल्प दे रहा है उसमें हमसे भी राशि की मांग की जा रही है। हमें जमीन के बदले जमीन चाहिए। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को 25 प्रभावित पक्षों को इंदौर हाई कोर्ट से स्टे मिल गया है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।