Jabalpur: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को असंवैधानिक ठहराते हुए निर्णय दिया है कि बिना ट्रांजिट पास के 44 प्रजातियों के पेड़ों का परिवहन नहीं किया जा सकेगा। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस सुश्रुत अरविन्द धर्माधिकारी और जस्टिस विवेक जैन की तीन जजों की फुल बेंच ने 98 पन्नों के अपने फैसले में सरकार को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं।
क्या है मामला?
यह फैसला जबलपुर निवासी विवेक कुमार शर्मा और नीमच के मनासा निवासी आनंद मानावत की ओर से दायर दो जनहित याचिकाओं पर आया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश सरकार ने मप्र ट्रांजिट (वन उत्पाद) नियम 2000 में 24 और 26 सितंबर 2015 को संशोधन कर 53 प्रजातियों के पेड़ों के परिवहन के लिए ट्रांजिट पास की अनिवार्यता हटा दी थी।
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि इस संशोधन के बाद बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और अवैध परिवहन शुरू हो गया। सिर्फ जबलपुर में हर दिन लकड़ी से भरे करीब 100 ट्रक लाए जा रहे थे। इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था, जिसे देखते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचार
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ द्वारा 13 जनवरी 2016 को दिए गए फैसले और सुप्रीम कोर्ट के टीएन गोदावर्धन केस के फैसले का भी अध्ययन किया गया। कुछ विरोधाभासी बिंदुओं को देखते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने यह मामला लार्जर बेंच को भेजा था।
सरकार को दिशा-निर्देश
फुल बेंच ने सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बिना ट्रांजिट पास के 44 प्रजातियों के पेड़ों का परिवहन पूरी तरह से रोका जाए और वन संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।
फैसले के मायने
इस फैसले से अवैध रूप से पेड़ों की कटाई और लकड़ी तस्करी पर रोक लगेगी। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और वन कानूनों को मजबूती मिलेगी। अब सरकार को ट्रांजिट पास की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाकर लागू करना होगा ताकि भविष्य में अवैध कटाई की घटनाओं को रोका जा सके।