मध्य प्रदेश के दो सांसद सावित्री ठाकुर और शंकर लालवानी के खिलाफ चुनाव याचिका दायर

इंदौर, 20 जुलाई 2024

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ में धार सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री सावित्री ठाकुर के खिलाफ एक चुनाव याचिका दायर की गई है। इधर हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के समक्ष इंदौर सांसद शंकर लालवानी के खिलाफ भी एक चुनाव याचिका प्रस्तुत की गई है। ठाकुर के खिलाफ जहां चुनाव याचिका उनके चुनावी प्रातिद्वंदी रहे राधेश्याम मुवेल ने दायर की है तो इधर इंदौर से हाल ही में दूसरी बार निर्वाचित हुए सांसद शंकर लालवानी के खिलाफ चुनाव याचिका धर्मेन्द्र सिंह झाला ने दायर की है। उल्लेखनीय है झाला ने इंदौर लोकसभा 2024 में नामांकन भरा था लेकिन उनका फॉर्म रिजेक्ट हो गया था, जिसका उन्होने विरोध भी किया था। दोनों याचिकाओं में दोनों सांसदों को निर्वाचन शून्य कराने की मांग की गई है।

सावित्री ठाकुर के खिलाफ दायर याचिका में क्या आरोप लगाये गए हैं ?

याचिका कर्ता ने सावित्री ठाकुर का निर्वाचन शून्य करने की मांग की है। बताया जा रहा है कि सावित्री ठाकुर ने निर्वाचन के समय नामांकन फॉर्म के साथ दिये एफ़िडेविट में कुछ जानकारियाँ छुपाई थी और कुछ कॉलम रिक्त छोड़ दिये थे। नामांकन के पेज 6 पर अपनी आय की जानकारी देनी होती है। मंत्री ठाकुर ने 2018-19 में 38 हजार 671 रु वार्षिक आय बताई है जबकि सांसद का पेंशन वेतनमान ही 1 लाख 90 हजार रु महीना होता है। साथ ही लोकसभा सचिवालय से नो ड्यूज सटिफिकेट लगाना अनिवार्य है। सरकारी आवास से संबन्धित पानी व अन्य बिल शामिल होते हैं। इनकी भी जानकारी नहीं दी गई है। फॉर्म में दिये कॉलम में परिवार की आय की जानकारी देनी होती है, जो उनके द्वारा नहीं दी गई है। इन ग्राउंड्स पर उनका निर्वाचन शून्य करने की मांग की गई है।

शंकर लालवानी के खिलाफ दायर याचिका में क्या है मांग ?

सांसद शंकर लालवानी के खिलाफ याचिका सेना से रिटायर्ड धर्मेन्द्र सिंह झाला ने दायर की है। झाला ने बताया कि उन्होने 2024 लोकसभा चुनाव में इंदौर प्रत्याशी बतौर नामांकन भरा था लेकिन प्रशासन ने उनका फॉर्म खारिज कर दिया। झाला का आरोप है कि उनके साथ फर्जीवाड़ा हुआ है। उनके फॉर्म पर किसी के जाली हस्ताक्षर हैं साथ ही उनके पिता का भी नाम गलत लिखा गया है। झाला ने कहा चूंकि उनका साफ सुथरा बैकग्राउंड है। चुनाव में जनता उन्हें पसंद भी कर रही थी। झाला ने आरोप लगाते हुए कहा इसलिए सत्तापक्ष ने उनका नामांकन फर्जी तरीके से निरस्त करवा दिया। झाला ने प्रशासन से सीसीटीवी फुटेज की मांग भी की है। उन्होने सूचना के अधिकार (आरटीआई) में जानकारी मांगी है जो उन्हें अब तक नहीं मिली है। वे प्रथम अपील में भी गए हैं।