इंदौर/भोपाल 16 नवंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर तकनीकी कर्मचारी संघ ने गंभीर आपत्ति जताई है। संघ ने ऊर्जा विभाग और सरकार को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि ऑनलाइऩ माध्यम से चल रही भर्ती प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। संघ ने दशकों से संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों का विभागीय परीक्षा के आधार पर नियमितीकरण करने की भी अपील की है।
संघ का कहना है कि पिछले दस वर्षों में राज्य में विद्युत अधोसंरचना और उपभोक्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इस दौरान लगभग 4500 नए उपकेंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनके संचालन और संधारण की जिम्मेदारी परीक्षण सहायक और लाइनमैन कर्मचारियों पर होती है। हालांकि, आगामी भर्ती प्रक्रिया में इन पदों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी है।
आउटसोर्सिंग व्यवस्था पर आपत्ति
संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार द्विवेदी ने आरोप लगाया है कि नियमित प्रकृति के कार्यों में आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे बिजली कंपनियों की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि फीडर पर अधिक विद्युत प्रदाय, पावर ट्रांसफार्मर जलने और विद्युत दुर्घटनाओं में वृद्धि इसका उदाहरण है। द्विवेदी ने कहा कि संविदा नीति 2018 और 2023 के तहत संविदा कर्मियों को नियमित भर्ती में 50% आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन जब इन पदों पर भर्ती ही नहीं निकाली जाएगी तो आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा?
संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग
संघ के अन्य पदाधिकारियों शंभू नाथ सिंह, हरेंद्र श्रीवास्तव, असलम खान, धर्मेंद्र मालवीय और अन्य ने सरकार से मांग की है कि परीक्षण सहायक और लाइन अटेंडेंट के पदों को नियमित किया जाए। ये सभी कर्मचारी 2013 की भर्ती प्रक्रिया के तहत संविदा पर नियुक्त किए गए थे और उनके पास विभागीय कामकाज का पर्याप्त अनुभव है।
नए पद सृजित किए जाएं
संघ ने सुझाव दिया है कि विभाग के ऑर्गेनाइजेशन स्ट्रक्चर में आवश्यकतानुसार सुधार कर बढ़ते उपभोक्ता आधार और लाइन इंफ्रास्ट्रक्चर के मुताबिक नए पद सृजित किए जाएं। इसके साथ ही, संविदा कर्मियों को नियमित करने के बाद ही नई भर्तियां शुरू की जाएं। तकनीकी कर्मचारी संघ का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो यह प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर गंभीर संकट खड़ा कर सकती है।