भोपाल/नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के परिवहन चेकपोस्टों पर बड़े पैमाने पर अवैध वसूली (इंट्री) का मामला सामने आया है। इंदौर ट्रक ऑपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (ITOTA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जाँच और अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को राजसात करने की माँग की है।
5-6 वर्षों में ₹300 करोड़ मासिक की अवैध वसूली का आरोप
शिकायत पत्र में कहा गया है कि बीते 5-6 वर्षों से परिवहन चेकपोस्टों पर वाहनों से अवैध वसूली की जा रही थी। इस वसूली के लिए मासिक वाहनों की सूची, नासिक टोकन और प्रति चक्कर नकद भुगतान का सहारा लिया गया। आरोप है कि हर महीने लगभग ₹300 करोड़ की अवैध वसूली की जाती थी।
इस भ्रष्टाचार की शिकायत वीडियो, ऑडियो और शपथ पत्रों के साथ विभिन्न एजेंसियों और सरकारों को भेजी गई थी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
प्राइवेट गुंडों के जरिए वसूली, जाँच एजेंसियों पर मामले को दबाने का आरोप
पत्र में आरोप लगाया गया है कि इस भ्रष्टाचार में सौरभ शर्मा सहित कई परिवहन अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं, जिन्होंने प्राइवेट गुंडों के जरिए संगठित रूप से अवैध वसूली की। हाल ही में कुछ मामलों की जाँच शुरू हुई, लेकिन शिकायतकर्ता संगठन का कहना है कि जाँच एजेंसियाँ मामले को रफा-दफा करने का प्रयास कर रही हैं।
देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला साबित हो सकता है मामला
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, यदि निष्पक्ष और गहन जाँच होती है, तो यह देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला साबित हो सकता है। आरोप है कि अब तक केवल कुछ ही रकम जब्त की गई है, जबकि हीरे, सोना, चांदी और अकूत संपत्तियाँ अभी बरामद होना बाकी हैं।
प्रधानमंत्री से निष्पक्ष जाँच और दोषियों की संपत्ति राजसात करने की माँग
इंदौर ट्रक ऑपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (ITOTA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माँग की है कि:
- इस घोटाले की निष्पक्ष और गहन जाँच कराई जाए।
- भ्रष्टाचार के ज़रिए अर्जित अवैध संपत्ति को राजसात किया जाए।
- इस भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री और जाँच एजेंसियों को भी भेजी गई प्रतिलिपि
इस शिकायत पत्र की प्रतिलिपि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, लोकायुक्त भोपाल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) भोपाल और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) भोपाल को भी भेजी गई है।
सरकार की चुप्पी पर सवाल, क्या होगी कार्रवाई?
इस गंभीर आरोप के सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों सरकार और जाँच एजेंसियाँ अब तक चुप हैं? यदि समय रहते इस मामले की जाँच नहीं हुई, तो यह घोटाला और भी बड़े पैमाने पर फैल सकता है।
अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले पर क्या संज्ञान लेता है और क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।
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