सतीश जैन, इंदौर

3 अगस्त 2024

7724038126

छत्रपति नगर के दलाल बाग में आज मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि संसार में कोई भी वस्तु बेकार नहीं है। सांप के विष का भी उपयोग होता है। हमें कचरे के उपयोग की जानकारी नहीं होने के कारण हम उसे फेंक देते हैं। अब कचरे को सूखा-गीला अलग कर एक इंडस्ट्री बनाई जा रही है जो चारकोल बनाने में उपयोगी है।

मंदिर में प्रतिदिन प्रातः 6:00 बजे आचार्य भक्ति और 7:00 बजे शांति धारा होती है। 10:00 बजे आहार चर्या होती है। रविवार, 4 अगस्त को दोपहर 2:00 बजे से प्रवचन दलाल बाग में होंगे, और दानदाताओं को प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

मुनि श्री ने कहा कि हमने सृष्टि पर कई गलतियाँ की हैं और हमें यह भी पता नहीं कि हम यहां क्यों आए थे। गुरुदेव ने हमें साधु से गुरु बनने की दिशा दी थी। उन्होंने कहा कि गुरुओं की मुक्ति का मार्ग अलग होता है और श्रावक की मुक्ति का मार्ग अलग। जब श्रावक सुख का मार्ग पूछे, तो साधु को गुरु बनकर रहना पड़ता है। इंदौर में साधु कम और गुरु ज्यादा हैं, और श्रावक के बिना धर्म संभव नहीं है।

मुनि श्री ने साधु के जीवन के तीन करिश्मों का उल्लेख किया:

साधु अनछने पानी का उपयोग नहीं करता।

साधु 1 लीटर पानी में पूरा दिन निकाल लेता है।

साधु बनने के बाद कभी किसी महिला को नहीं छूता और सभी महिलाओं को मां बहन का उच्चारण करता है।

उन्होंने बताया कि साधु को अपनी भाषा और मन को परिष्कृत करना पड़ता है। गुरु चलता फिरता तीर्थ है और साधना के प्रति आकर्षण बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने श्रद्धालुओं से पूछा, “तुमने अपने धर्म के लिए क्या किया?” और कहा कि भक्तों की पहचान उनके गुरु की साधना और पुरुषार्थ से होती है।

इस अवसर पर दिगंबर जैन समाज के सामाजिक संसद प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि प्रातः गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पूजन हुआ। सतीश डबडेरा, सतीश जैन, शिरीष अजमेरा, अखिलेश- अरविंद सोंधिया, पवन जैन, भूपेंद्र जैन, आनंद जैन, और आलोक बंडा विशेष रूप से उपस्थित थे। पूज्य मुनि श्री निस्वार्थ सागर जी एवं क्षुल्लक श्री हीरक सागर जी महाराज भी मंच पर विराजित थे।