इंदौर। “धन सुविधा देता है, सुख नहीं। दानवीर की कीर्ति सदैव फैलती है।” यह विचार मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने प्रगति कॉन्वेंट स्कूल, व्यंकटेश विहार कॉलोनी में आयोजित प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने अपने गुरु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को याद करते हुए कहा कि “सूरज, चंद्रमा, हिमालय और हवा को सब जानते हैं, वैसे ही दानवीर को भी सभी जानते हैं। दान देने से चेहरे की चमक बढ़ती है और दानवीर सदैव प्रसन्न व संतुष्ट रहता है।”
धन की मर्यादा को समझना आवश्यक – मुनि श्री
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि “मंदिर के अंदर बजने वाले हारमोनियम और तबले केवल संगीत के उपकरण नहीं होते, बल्कि ये हमें भगवान तक पहुंचाने वाले माध्यम होते हैं। जिसका प्रभु के प्रति विशेष प्रेम उमड़ता है, उसे प्रभु पार्षद कहते हैं।”
उन्होंने कहा कि “दानदाता केवल धन देने वाला नहीं होता, बल्कि वह किसी को भगवान तक पहुंचाने का प्रयास करता है।” उन्होंने धन की शक्ति और मर्यादा को पहचानने की बात कही और कहा कि “धन सुविधा तो दे सकता है, लेकिन सुख नहीं दे सकता।”
मंदिर निर्माण में अपने पुरुषार्थ से अर्जित धन का उपयोग करें
मुनि श्री ने कहा कि “मंदिरों में विराजित जिनबिंब किसी के वैराग्य को बढ़ाते हैं, किसी की कषाय को मिटाते हैं और साधु को केवल ज्ञान की ओर ले जाते हैं। मंदिर शांति के लिए बनाए जाते हैं, इसलिए अपने पुरुषार्थ से अर्जित धन को ही मंदिर निर्माण में लगाना चाहिए।”
प्रतिमा स्थापना के लिए समाजजनों की घोषणा
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आज रेवती रेंज स्थित सर्वतोभद्र जिनालय में एक प्रतिमा की स्थापना के लिए श्री संजय-श्रीमती मृदुला-अनमोल कासलीवाल परिवार, प्रगति कॉन्वेंट स्कूल ने राशि समर्पित करने की घोषणा की। इसके साथ ही, एक अन्य प्रतिमा स्थापना के लिए निर्मल कुमार-श्रीमती शशि जैन-साहिल जैन (सीए) परिवार को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम में समाजजन की भागीदारी
कार्यक्रम की शुरुआत में मंगलाचरण के पश्चात आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। मंच पर मुनि श्री निस्वार्थ सागर जी महाराज भी विराजमान थे। इस अवसर पर मनीष नायक, स्वर्ण कुमार जैन, सचिन जैन, सतीश जैन, दीपक सोधिया, प्रफुल्ल जैन, सचिन जैन सहित समाज के अनेक श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।