अपने अंदर की दिव्यता देखने के लिए एक गुरु चाहिए, बिना गुरु के कभी किसी का उद्धार नहीं हुआ– मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज
सतीश जैन, इंदौर
25 जुलाई 2024
7724038126
मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने आदिनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय , गुप्ती सदन, इंदौर में अपने प्रवचन में कहा कि शरीर पहला साधन है धर्म के लिए और कर्म के लिए भी। उन्होने पूछा कि बताओ जिंदगी में किस-किस के साथ जीना है, फिर कहा कि जब निश्चित है कि हमें शरीर के साथ ही जीना है तो सबसे पहले शरीर की परवाह करो। इस हेतु सुबह ब्रह्म बेला सुबह 3 से 6 के बीच में उठने का नियम बना लो। आप आलस्य को कभी कमजोर मत समझना, आलस्य जिंदगी बर्बाद कर देता है । ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आरोग्य का लाभ लीजिए। भगवान से प्रार्थना करिए कि हम अगले सौ वर्षों तक आपके दर्शन कर सकें, जिनवाणी का श्रवण कर सके, तीर्थो की वंदना कर सके।
जान है तो जहान है। धर्म की चिंता बाद में करिए, शरीर की पहले । हमने कभी आलस्य नहीं किया , योगी कभी आलस्य नहीं करता। जीवन में चरम को प्राप्त करना है तो आलस्य मत करो। आदमी का जीवन बर्बाद करने के लिए तीन चीजें ही काफी है चंचलता, हास्य और आलस्य।
अपने अंदर की दिव्यता देखने के लिए एक गुरु चाहिए, बिना गुरु के किसी का उद्धार नहीं हुआ, गुरु हमारे जीवन का सब कुछ सुधारते हैं । हमें अपनी शक्ति का पता नहीं है तो भटकाने / अटकाने वाले बहुत लोग हैं। मुझे आचार्य समय सागर जी महाराज ने आपकी शक्तियों को जगाने के लिए इंदौर भेजा है। जीवन जीने के लिए वर्कआउट की नहीं वर्क इन की जरूरत है। वर्क इन से कभी आपको थकावट नहीं होगी जबकि वर्कआउट से आपके चेहरे पर थकान ही थकान दिखेगी। इस देश का सैनिक किसी साधु से कम नहीं , सैनिक बनिए नहीं तो साधु बनिए या फिर महादानी बनिये।
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आज सुबह मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज का संघ शांतिनाथ त्रिमूर्ति मंदिर , कालानी नगर से आदिनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय पहुंचा। इस अवसर पर श्रावक श्रेष्ठी सतीश डबडेरा, शिरीष अजमेरा , मनोज मोदी, पार्षद श्रीमती शिखा- संदीप दुबे, दिनेश सिंघई , सतीश जैन,धर्मेंद्र जैन, अनिल रावत , प्रवीण जैन केवलारी,अमित जैन, आलोक आदि विशेष रूप से मौजूद थे।
धर्म सभा का सफल संचालन भरतेश बड़कुल ने किया।