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लोक सभा अध्यक्ष बिरला पर विपक्ष की तमाम उलाहना/ हिदायतें रहीं बेअसर

इंदौर/ नई दिल्ली

26 जून 2024

18 वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में बुधवार को एनडीए के अधिकृत प्रत्याशी ओम बिरला ध्वनि मत से निर्वाचित हुए हैं। इससे पहले कांग्रेस ने बिरला के खिलाफ अपने प्रत्याशी के सुरेश को मैदान में उतार कर सियासी सर गरमियाँ बढ़ा दी थीं। कयासोन के विपरीत जाकर कांग्रेस ने मत विभाजन की मांग नहीं करके एक तरह से ओम बिरला के नाम को अपनी स्वीकृति दे दी थी। इस दौरान एआईटीएमसी की ओर मर विभाजन नहीं किए जाने पर नाराजगी जाहिर की। उधर जेडीयू सांसद और केन्द्रीय मंत्री लल्लन  सिंह ने भी मत विभाजन नहीं किए जाने को लेकर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर निशाना साधा है।

कुल मिलाकर अटकलों से विपरीत जाकर विपक्ष ने आज सदन की पहली औपचारिक कार्यवाही के दौरान सकारात्मक रुख अख़्तियार कर एक अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन ओम बिरला ने पदासीन होते ही अपने तीखे तेवरों से बता दिया कि वे बदलने वालों में से नहीं हैं। मसलन पहले तो उन्होने विपक्ष के सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा कि मेरे खड़े होने का मतलब है कि सांसद सदस्य अपने स्थान पर बैठ जाएँ। ध्यान रहे, अगले पाँच साल तक मुझे ये बात नहीं दोहरानी पड़े ।

इसके बाद लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने 50 वर्ष पहले स्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल को लेकर निंदा प्रस्ताव पारित किया। उसके बाद आपात काल में कथित रूप से प्रताड़ित किए गए नागरिकों के प्रति दो मिनट का मौन रखा गया। इस दौरान विपक्ष लामबंद होकर सदन में विरोध स्वरूप हंगामा करता रहा।  तो एनडीए गठबंधन के लगभग सभी घटक दलों ने दो मिनट के मौन का रख कर निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया। जब सदन में ये सब चल रहा था, उसी दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा कथित शराब घोटाले में गिरफ्तारी और फिर उन्हें विशेष न्यायालय में पेश कर लिए गए 3 दिन के रिमांड के बाद साफ है कि नवनिर्वाचित केन्द्रीय सत्ता का विपक्ष के नेताओं के खिलाफ बर्बरतापूर्वक रुख जारी रहेगा।

राजनीति विशेषज्ञों को हैरानी इस बात पर है कि मुख्यत: जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सहारे तीसरी बार सत्ता में आई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के इस तरह प्रतिघाती रुख पर एनडीए घटक दल खामोश क्यों हैं ? वहीं आश्चर्य सदन के भीतर और बाहर इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस पार्टी भी केजरीवाल की गिरफ्तारी पर खुलकर सामने नहीं आई है।

सैम पित्रोदा पुन: बहाल

बुधवार को सिलसिलेवार पूर्व निर्धारित राजनीतिक घटनाक्रमों और सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के अलावा चौंकाने वाला फैसला देर शाम कांग्रेस की ओर से सामने आया। आपको बता दें कि लोक सभा निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान जिन सैम पित्रोदा को अपने विवादित बयान के कारण द इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। उन्हें पद पर पुन: बहाल कर दिया गया है । कांग्रेस के इस कदम की भाजपा सहित एनडीए के घटक दलों के कई नेताओं ने आलोचना की है।

विपक्षी नेताओं ने बधाई के साथ सम्मान की मांग की

विपक्षी दलों ने स्पीकर ओम बिरला को बधाई दी और सभी ने एक मत से कहा कि विपक्ष की आवाज को दबाया न जाये, न ही सांसदों के निष्कासन जैसी कार्यवाही फिर से हो। राहुल गांधी ने दी बधाई कहा विपक्ष जनता की आवाज़, उसे न दबाएँ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बधाई देते हुए कहा स्पीकर का अंकुश सत्ता पक्ष पर ही रहे।

लोकसभा अध्यक्ष के रूप में ओम बिड़ला के दूसरे कार्यकाल के बारे :-

  • 1989 में बलराम जाखड़ के बाद लगातार दो बार लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने वाले ओम बिड़ला पहले व्यक्ति हैं।
  • स्पीकर के रूप में बिड़ला का दोबारा चुना जाना मोदी सरकार में निरंतरता और स्थिरता के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
  • अपने पहले कार्यकाल के दौरान, बिड़ला ने पुराने संसद भवन से नए भवन में बदलाव का निरीक्षण किया और एक ही सत्र में शून्यकाल के दौरान सबसे अधिक विषय उठाए जाने का रिकॉर्ड बनाया।
  • उतार-चढ़ाव भरे कार्यकाल के बावजूद, बिड़ला संसद में निलंबित विपक्षी सांसदों की रिकॉर्ड संख्या और उच्च स्तर की उत्पादकता हासिल करने में सक्षम थे।
  • अपने निर्वाचन क्षेत्र में बिड़ला के परोपकारी कार्यों और व्यक्तिगत सांसदों से जुड़ने की उनकी क्षमता की प्रधान मंत्री मोदी ने प्रशंसा की है।
  • स्पीकर के रूप में बिड़ला का फिर से चुनाव सर्वसम्मति से हुआ, विपक्षी उम्मीदवार के सुरेश बिना वोट के पीछे हट गए।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।