नीट परीक्षा विवाद: 1563 बच्चों को दिए गए ग्रेस मार्क्स रद्द, दोबारा होगी परीक्षा

इंदौर, 13 जून 2024

नीट (NEET) परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मामले की सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि ग्रेस मार्क्स मिलने वाले 1563 बच्चों के ग्रेस मार्क्स रद्द कर दिए गए हैं। इन छात्रों के लिए अलग से परीक्षा आयोजित की जाएगी। यदि ये छात्र दोबारा परीक्षा में शामिल नहीं होना चाहते हैं, तो इन्हें बिना ग्रेस के ही अपना स्कोर कार्ड स्वीकार करना होगा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के अनुसार, इन छात्रों को ग्रेस मार्क्स इसलिए दिए गए थे क्योंकि उन्हें परीक्षा के लिए निर्धारित 3 घंटे 20 मिनट का समय पूरा नहीं मिला था।

सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि पूरी परीक्षा को फिलवक्त रद्द नहीं किया जा सकता है। अगली सुनवाई 8 जुलाई को है। कोर्ट के निर्णय के बाद भी छात्रों के कई अनसुलझे सवाल हैं, जिनका जवाब अब तक नहीं मिला है।

छात्रों के अनसुलझे सवाल:

  1. 67 छात्र कैसे टॉपर हो सकते हैं?
  2. एक ही सेंटर के 6 छात्रों के 720 में से 720 अंक कैसे आ सकते हैं?
  3. 720 में से 718 और 719 अंक कैसे आ सकते हैं? क्योंकि परीक्षा में एक सही प्रश्न के उत्तर पर 4 अंक और एक गलत प्रश्न के उत्तर पर 1 अंक माइनस होता है, लिहाजा स्कोर 715, 710 हो सकता है, 718, 719 नहीं।
  4. 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स किस फॉर्मूले के आधार पर दिए गए? समय कम मिलने के बावजूद बहुत सारे बच्चे कोर्ट नहीं गए, क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि ग्रेस भी परीक्षा में मिलता है, जो पहले कभी नहीं मिला। उन बच्चों के संग अन्याय होगा क्योंकि पुन: आयोजित परीक्षा में बैठने का मौका नहीं दिया जा रहा है।

कांग्रेस ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “नीट परीक्षा में केवल ग्रेस मार्क्स की समस्या नहीं थी। धांधली हुई है, पेपर लीक हुए हैं, भ्रष्टाचार हुआ है। नीट परीक्षा में बैठे 24 लाख छात्र-छात्राओं का भविष्य मोदी सरकार के कारनामों से दाँव पर लग गया है। एग्जाम सेंटर और कोचिंग सेंटर का एक नेक्सस बन चुका है, जिसमें ‘पैसे दो-पेपर लो’ का खेल खेला जा रहा है। मोदी सरकार एनटीए के कंधों पर अपनी कारगुजारियों का दारोमदार रखकर, अपनी जवाबदेही से पीछा नहीं छुड़ा सकती। पूरे नीट घोटाले में कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक निष्पक्ष जाँच की माँग करती है। जाँच के बाद दोषियों को कड़ी-से कड़ी सज़ा दी जाए और लाखों छात्र-छात्राओं को मुआवज़ा देकर उनका साल बर्बाद होने से बचाया जाए। पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने पेपर लीक और धांधली से करोड़ों युवाओं का भविष्य बर्बाद किया है।”

सरकार ने किया बचाव

उधर, उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मल्लिकार्जुन खड़गे के ट्वीट का जवाब देते हुए सरकार का बचाव करते हुए कहा, “NEET परीक्षा में किसी प्रकार की धांधली, भ्रष्टाचार या पेपर लीक का कोई पुख्ता सबूत अभी तक सामने नहीं आया है। इससे संबंधित सारे तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं और विचाराधीन हैं। मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूँ कि पेपर लीक रोकने और नक़ल विहीन परीक्षा के लिए केंद्र सरकार ने इसी साल Public Examination (Prevention of Unfair Means) Act पारित किया है, जिसमें कई कड़े प्रावधान हैं। कांग्रेस इस ग़लतफ़हमी में ना रहे कि कोई भी नेक्सस पाया जाएगा तो उस पर कार्यवाही नहीं होगी। इस Act के प्रावधानों को बहुत बारीकी से अमल में लाया जाएगा। छात्रों के भविष्य पर राजनीति करना कांग्रेस की पुरानी आदत है। राजनीतिक रोटियाँ सेकने के बजाय कांग्रेस को भारत के विकास में योगदान देना चाहिए।”

क्या है मामला?

NTA के अनुसार, 5 मई को नीट-यूजी की परीक्षा हुई थी और निर्धारित समय से कई दिन पहले 4 जून 2024 को इसके परिणाम आए थे। परीक्षा परिणाम में कई गड़बड़ियाँ सामने आने पर कुछ छात्रों ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली। छात्रों के विरोध और कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद परिणाम की समीक्षा के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की गई थी। समिति ने अपने सुझाव NTA को दिए थे, जिसके बाद इन पर अमल करते हुए इन 1563 बच्चों के लिए दोबारा परीक्षा कराने का फ़ैसला लिया गया।