हिंदुस्तान की दिशा कौन तय करेगा – अंधविश्वास या वैज्ञानिक सोच?
भारत में सत्ता और विचारधारा को लेकर लंबे समय से एक बड़ा संघर्ष चल रहा है। सवाल यह है कि देश को नरेंद्र मोदी जैसा कर्मकांडी, यथास्थितिवादी प्रधानमंत्री चाहिए या फिर नेहरू जैसा वैज्ञानिक सोच वाला नेता?
इस संदर्भ में प्रसिद्ध अंग्रेज विचारक और साहित्यकार अल्डस हक्सली का उल्लेख प्रासंगिक होगा। हक्सली अपने भविष्यदर्शी उपन्यास “ब्रेव न्यू वर्ल्ड” के लिए जाने जाते हैं। जनवरी 1926 में जब वह भारत आए, तब उन्होंने “बनारस” नामक निबंध लिखा।
बनारस में अंधविश्वास और आस्था की भीड़
14 जनवरी 1926 को मकर संक्रांति के अवसर पर हक्सली वाराणसी पहुंचे। उन्होंने देखा कि लाखों लोग बिना किसी वैज्ञानिक आधार के यह मान रहे थे कि ग्रहण का पानी उन्हें पवित्र कर देगा। उनकी आंखों ने एक अंधविश्वासी भीड़ को देखा, जो बिना किसी वैज्ञानिक तर्क के परंपराओं का पालन कर रही थी।
हक्सली के अनुसार, भारत की समस्या यह है कि यहाँ का सामाजिक विवेक धार्मिक अंधविश्वासों पर टिका हुआ है। इस देश को धर्म और ईश्वर से ज्यादा सोच और तर्क की आवश्यकता है।
आज का भारत और सावरकर की विरासत
आज जब हम भारत की स्थिति देखते हैं, तो पाते हैं कि सावरकर के अनुयायी रामजन्मभूमि मंदिर में मूर्तिपूजा का पाखंड कर रहे हैं। हिंदू राष्ट्रवाद का दावा करने वाले लोग खुद ही अपने विचारों के विपरीत आचरण कर रहे हैं।
लोकतंत्र केवल चुनाव जीतने से नहीं चलता। एक मजबूत लोकतंत्र के लिए वैज्ञानिक चेतना, सेकुलर सोच और दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान जरूरी होता है। यही मूल्य आधुनिक भारत के निर्माण के लिए नेहरू ने अपनाए थे।
नेहरू: केवल प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि युग निर्माता
जवाहरलाल नेहरू का महत्व भारतीय राजनीति में वही है, जो लेनिन का सोवियत संघ में था। जैसे लेनिन की तुलना स्टालिन, ख्रुश्चेव या ब्रेझनेव से नहीं की जा सकती, वैसे ही नेहरू की तुलना किसी अन्य प्रधानमंत्री से नहीं की जा सकती।
नेहरू केवल एक प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि लेखक, चिंतक, सेनानी और राष्ट्र निर्माता थे। उन्होंने भारत को एक वैज्ञानिक चेतना वाला राष्ट्र बनाने का सपना देखा था।
उन्होंने क्या किया?
- संविधान में वर्णाश्रम व्यवस्था को खारिज किया और लोकतांत्रिक-धर्मनिरपेक्ष समाज की नींव रखी।
- शिक्षा पर जोर दिया, IITs, IIMs, AIIMS, ISRO जैसे संस्थानों की स्थापना की।
- उद्योग और विज्ञान को बढ़ावा दिया, भिलाई, बोकारो, राउरकेला में स्टील प्लांट और बड़े सार्वजनिक उपक्रम खड़े किए।
- भारत को आधुनिक तकनीक और विज्ञान की राह पर आगे बढ़ाया।
नेहरू अडानी-अंबानी के साथ बैठने वाले नेता नहीं थे। वे आइंस्टीन, भाभा और होमी जहांगीर के साथ बैठते थे। उनका भारत वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, लेखकों और बुद्धिजीवियों का भारत था।
मोदी बनाम नेहरू: एक जटिल तुलना
नरेंद्र मोदी आज सत्ता में हैं, लेकिन उनका मकसद केवल नेहरू की छवि को धूमिल करना है।
- मोदी नेहरू से क्यों डरते हैं?
क्योंकि नेहरू नास्तिक, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष थे। - मोदी नेहरू संग्रहालय का नाम बदलते हैं क्योंकि वे नेहरू की विरासत को मिटाना चाहते हैं।
- मोदी नेहरू के कबूतर छोड़ने को कमजोर बताते हैं और खुद चीता छोड़ते हैं – यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है।
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने सही कहा है कि मोदी इनफीरियारिटी कॉम्पलेक्स के शिकार हैं।
कौवा कभी गरुड़ नहीं बन सकता
संस्कृत में एक प्रसिद्ध उक्ति है:
“कागो प्रसादो महलो अपि न गरुणायते”।
अर्थात, महल के ऊँचे शिखर पर बैठने से कौवा कभी गरुड़ नहीं बन जाता।
मोदी भले ही लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहें, लेकिन उनकी चेतना, उनका दृष्टिकोण और उनकी सोच नेहरू की बराबरी नहीं कर सकती।
भगत सिंह ने क्यों चुना नेहरू को?
भगत सिंह सुभाष चंद्र बोस से अधिक नेहरू से प्रभावित थे।
- सुभाष बाबू परिवर्तनकारी थे, लेकिन नेहरू युगांतरकारी थे।
- नेहरू राष्ट्रीयता के संकीर्ण दायरे से निकलकर खुले विचारों वाले नेता थे।
भगत सिंह ने अपनी जेल डायरी में लिखा था कि “नेहरू के विचार युगांतरकारी हैं, वे भावुक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सोच के समर्थक हैं।”
धर्म और राजनीति का घातक मेल
फ्रांसीसी दार्शनिक वोल्टेयर ने कहा था:
“जब तक लोग अपनी स्वतंत्रता का उपयोग नहीं करते, तब तक तानाशाह उन्हें धर्म के नाम पर गुलाम बनाते रहेंगे।”
नेहरू ने भी यही सोचा था। इसलिए उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा:
“मेरी मृत्यु के बाद कोई धार्मिक अनुष्ठान न किया जाए। मेरी अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने के बजाय भारतीय खेतों में बिखेर दी जाएं, ताकि वे इस धरती की उर्वरता बढ़ाएं।”
महान नेता वही होता है, जो मानवता को प्राथमिकता दे
- अशोक महान थे, क्योंकि उन्होंने हिंसा छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया, जिसमें वर्ण, जाति, ईश्वर का निषेध था।
- अकबर महान थे, क्योंकि वे मानवता और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते थे।
- नेहरू महान थे, क्योंकि उन्होंने भारत को एक आधुनिक, वैज्ञानिक और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने की दिशा में काम किया।
भारत को किसकी जरूरत है?
भारत को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो धर्म के नाम पर देश को न बांटे, बल्कि तार्किक, वैज्ञानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाए।
मोदी जैसे नेता केवल अंधविश्वास और धार्मिक उन्माद बढ़ा सकते हैं, लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए नेहरू जैसी सोच की जरूरत है।
अब फैसला आपको करना है –
आप भारत को किस दिशा में देखना चाहते हैं?
- नेहरू का वैज्ञानिक भारत
- मोदी का कर्मकांडी भारत
आपकी राय क्या है? नीचे कमेंट करें और अपनी सोच साझा करें।