इंदौर, 03 दिसंबर 2024,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: मोबाइल इंटरनेट के जरिए साइबर फ़्राड, डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगी की वारदातें मौजूदा दौर में न्यू नॉर्मल बन चुकी हैं, इसी फेहरिस्त में इन सबसे उलट एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें दक्षिणा के रूप में पहले 20 लाख रु का इंदौर के एक ज्योतिष को ऑनलाइन भुगतान किया गया, फिर इसी 20 लाख रु की ज्योतिष से वसूली करने के लिए हरियाणा निवासी एक तीसरा पक्ष इंदौर पहुंचा, इस तीसरे पक्ष ने अपने वकील और पुलिस की मदद लेकर ज्योतिष की कार और लगभग 7 लाख रु की राशि वसूल ली । इतना ही नहीं इस पूरे कथित लेन-देन के मामले में पुलिस ने न तो कोई अपराध दर्ज किया और न ही इन 20 लाख रु का मुख्य सोर्स, मालिकाना हक़, असल में किसका है, यह पता लगाने को अपनी ज़िम्मेदारी समझा।
मामले में शिकायत करने वाले ज्योतिष मोहितानन्द ने बीते दिनों में इंदौर पुलिस के स्थानीय अधिकारियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक तथा सीएम हेल्पलाइन से लेकर जिलाधीश को शिकायती आवेदन दिये हैं और एसीपी खजराना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उधर आरोपी संदीप का फोन 9817098036 बंद आ रहा है।
फरियादी मोहितानंद
कलेक्टर की जनसुनवाई में अपना आवेदन लेकर पहुंचे फरियादी मोहितानंद ने बताया कि वे ओम कारेश्वर में एक आश्रम बनवा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें उनके भक्तों से फंड मिलता है साथ ही ज्योतिष परामर्श देते हैं। इसी तरह शैडो कंपनी से 20 लाख का फंड उन्हें उनके खाते में ऑनलाइन मिला। जिसके बाद दिल्ली से किसी संदीप नामक व्यक्ति का कॉल आया और उसने कहा कि यह फंड गलती से ट्रांसफर हो गया है, यह शेयर मार्केट का पैसा है। इसके बाद संदीप इंदौर आया और उसने क्राइम ब्रांच अधिकारी बन कर उसके घर में घुसकर बैंक चेक बुक, उसके और उसकी पत्नी के मोबाइल फोन जब्त कर एसीपी कार्यालय ले गए और दबाव प्रभाव बनाकर 6 लाख 85 हजार रु आरटीजीएस करवाए, 8 लाख का ब्लैंक चेक लिया और साथ ही उसकी कार भी रख ली। जबकि यह पैसा संदीप का नहीं मुझे ज्योतिषी की दक्षिणा मिली थी। न ही संदीप कोई पुलिस अधिकारी है, वह फर्जी है। मोहितानन्द ने संदीप और एसीपी खजराना कुन्दन मंडलोई की मिली भगत के गंभीर आरोप लगाए हैं।
तीसरे पक्ष संदीप मलेठिया के वकील प्रमोद शर्मा ने न्यूजओ2 से कहा कि संदीप की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी। उसी शिकायत के आधार पर एसीपी कार्यालय के भीतर पुलिस की मौजूदगी में मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है। दोनों पक्ष ने लिखित में दिया है कि इस मामले में एक दूसरे पर कार्यवाही नहीं करेंगे। वकील शर्मा से जब पूछा गया कि मोहितानन्द का आरोप है कि पुलिस ने दबाव डालकर समझौता करवाया और संदीप के किसी परिचित मनीष नामक व्यक्ति के खाते में 6 लाख 85 हजार की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर करवाई गई ? तो वकील शर्मा ने इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि चूंकि मोहितानन्द के खाते में 20 लाख रु शैडो कंपनी की ओर से जमा कराये गए थे और वे यह बताने में असफल रहे कि उन्हें यह राशि किस चीज के लिए दी गई थी लिहाजा मोहितानन्द ने संदीप की शिकायत पर यह राशि वापस की है। वकील शर्मा से जब राशि के सोर्स के बारे में पूछा गया तो उन्होने इस बारे में जानकारी होने से इंकार कर दिया । साथ ही पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज न करते हुए समझौता किस आधार पर करवा दिया और क्या यह विधिक प्रक्रिया का उललंघन नहीं है, पूछे जाने पर कहा कि समझौता वाले दिन वे शहर से बाहर थे और इस बारे में उन्हें भी आश्चर्य है।
उधर आरोपों से घिरे पुलिस अधिकारी एसीपी खजराना कुंदन मंडलोई ने कहा कि संबन्धित पक्षों से बयान कथन लेने के बाद उनका आपसी रजामंदी से समझौता हुआ है। आरोप लगा रहे अनावेदक मोहितानन्द के खाते में 20 लाख रु आए थे, जिसे उन्हें वापस करना चाहिए था, नहीं करने पर हमें शिकायत मिली और हमने शिकायतकर्ता की महज मदद की है। मोहितानन्द शिकायत करके इसलिए आरोप लगा रहा है कि मूल शिकायतकर्ता संदीप हरियाणा का रहने वाला है। वह बार बार इंदौर नहीं आ सकता है लिहाजा अनावेदक (मोहितानन्द) पुलिस पर दबाव बनाकर रुपये वापस लेने की कोशिश कर रहा है।
तो उधर पीड़ित मोहितानन्द ने समझौता से इंकार किया है। मोहितानन्द ने कहा यदि समझौता जैसा कुछ होता तो मैं इधर उधर फरियाद नहीं कर रहा होता। मुझे पुलिस का दबाव बनाकर पैसे ट्रांसफर करवाए, बयान करवाए, कागज पर साइन करवाए। मेरी जान को खतरा है। मैं प्रशासन से अपनी जान की सुरक्षा चाहता हूँ।
हैरानी इस बात की है कि साइबर ठगी जैसे मामले जब आज न्यू नॉर्मल हो चुके हैं और ये भी साफ है कि साइबर ठगी के लिए तीसरे पक्ष या ये कहें आम लोगों के बैंक खातों का बेंजा इस्तेमाल कर ठग हमेशा पुलिस से एक कदम आगे रहते हैं। इसके बावजूद ऑनलाइन 20 लाख रु एक ज्योतिष के खाते में जमा करने के बाद पुलिस की सहायता से उन 20 लाख रु की तीसरे पक्ष द्वारा की गई वसूली व्यवस्था की लचरता को सामने ले आई है। पुलिस परिसरों का इस्तेमाल विधिक और न्यायिक कार्यवाही को बायपास किया जाना, ठगी के शिकार हो रहे आम लोगों के सामने खड़ी चुनौतियों का जीता जागता उदाहरण है।