भक्ति करने के लिए भक्त बनना जरूरी है

इंदौर, 19 जून 2024

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परम पूज्य आर्यिका सौहार्दमती माताजी ने संगम नगर महावीर जिनालय में अपने प्रवचन में कहा कि भक्तामर में पहला शब्द भक्तामर है यानी भक्त अमर। जो भगवान की भक्ति करेगा वो अमर हो जाएगा। भक्ति करने के लिए भक्त बनना जरूरी है। भक्त बनने की 6 शर्ते हैं-


पहली शर्त – अगर, मगर, लेकिन, किंतु परंतु, इन सबको मंदिर जी के बाहर छोड़ के आना है, ये अगर मगर तुम्हें कभी भक्त नहीं बनने देंगे।


दूसरी शर्त – जो करना है, प्रभु अब आपको ही करना है, मुझे कुछ नहीं करना । जैसे आप हाथ पर हाथ रखकर कृत्य कृत्य होकर बैठ गए, अब करना कुछ शेष नहीं, वैसे ही मुझे भी अब कुछ करना शेष नहीं , जो करेंगे प्रभु करेंगे।


तीसरी शर्त– मैंने अपने जीवन की डोर प्रभु के हाथ में सौंप दी , वही मेरा बेड़ा पार करेंगे।


चौथी शर्त– मंदिर में इधर-उधर नहीं देखना। सिर्फ मैं और मेरा प्रभु तीसरा कोई नहीं। प्रभु के चरणों में अपने आप को समर्पित कर दो, जैसे शिष्य गुरु को अपना जीवन समर्पित कर देता है।


पांचवीं शर्त – भक्त को भगवान पर विश्वास रखना चाहिए, जैसे आप अपने डॉक्टर पर रखते हो।


छठी शर्त – बनिया बुद्धि नहीं लगाना, जो बनिया बुद्धि लगाता है वह भक्त नहीं बन पाता। साहूकार बनो।


दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन
ने बताया कि प्रवचन के बाद आर्यिका विप्रभमती माताजी ने इन्हीं प्रवचनों में से उपस्थित समाज से प्रश्न पूछे, सही उत्तर बताने वाले को पुरस्कार दिये गये। रात्रि को 48 दीपक जलाकर सर्व सिद्धि प्रदायक,कष्ट निवारक श्री भक्तामरजी का पाठ किया गया। माताजी गुरुवार, 20 जून को भी यही विराजित रहेंगी।

इस अवसर पर श्रीमती प्रमिला जैन, आशा गदिया, सरिता जैन , अनीता गुप्ता, पिंकी जैन, कविता जैन, पारस जैन, अजय जैन, मनोज जैन, सतीश जैन , कमलेश सिंघई, श्यामलाल जैन आदि बहुत अधिक संख्या में समाज जन उपस्थित थे।