इंदौर में शाम 5 बजे तक 56.53  प्रतिशत हुआ मतदान, भाजपा की रिकार्ड जीत लगभग तय

इंदौर

 

चौथे चरण के मतदान में इंदौर लोक सभा सीट सहित आज सुबह से ही मतदान शुरू हो गया था, यहाँ बूथों पर सुबह ठंडे समय मतदाताओं की आवाजाही देखी गई लेकिन दोपहर में अधिकांश मतदान केन्द्रों पर सन्नाटा पसरा रहा। मतदाताओं का जमावड़ा अंतिम एक-डेढ़ घंटे में एकाएक बढ़ गया । छुटपुट घटनाओं के साथ शांतिपूर्ण मतदान सम्पन्न हुआ। चुनाव आयोग से प्राप्त मतदान प्रतिशत के अंतिम रुझान रात 10:20 बजे 62.51 प्रतिशत सामने आया है जबकि शाम 5 बजे तक 56.53 प्रतिशत बताए गए हैं हालांकि लगभग एक तरफा हो चुके इस चुनाव में मतदान प्रतिशत का इतना बढ़ा हुआ आंकड़ा कई तरह के आश्चर्य को जन्म दे रहा है।

लालवानी का रिकार्ड मतों से जीतना तय

इंदौर लोक सभा सीट से भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी इस चुनाव में अनेक रिकार्ड अपने नाम कर सकते हैं । पहला रिकार्ड तो लालवानी एतिहासिक रूप से बना ही चुके हैं, जिसमें बगैर कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव मैदान में उतरने का रिकार्ड उनके नाम हो गया है। लगभग तय मानी जा रही जीत में वे कुल मतों में से सर्वाधिक मत हासिल करने वाले प्रत्याशी बन सकते हैं। इसके अलावा इंदौर के शिक्षित, साक्षर लोगों के साथ साथ युवाओं का मत यदि नोटा जैसे विकल्प को मिलता है तो यह लोकसभा सीट देश में सर्वाधिक नोटा वाली सीट का रिकार्ड बना लेगी। हालांकि इंदौर लोक सभा सीट से कुल 14 प्रत्याशी इस बार चुनाव मैदान में थे। कांग्रेस के बाहर रहने के चलते यह देखना दिलचस्प होगा कि कितने प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल हो पाते हैं ?

मैदान में नहीं दिखे कांग्रेस कार्यकर्ता

कांग्रेस के परिप्रेक्ष्य में इंदौर लोक सभा सीट का चुनाव बेहद निराशाजनक रहा। दरअसल लड़ाई लड़ने के पहले ही अपना प्रत्याशी खो चुकी कांग्रेस भले ही लोकतंत्र की हत्या जैसे आरोप लगाकर मतदाताओं से नोटा पर वोट करने की अपील करती दिखाई दी लेकिन अजब स्थिति ये रही कि नोटा के समर्थन में जब कुछ ऑटो रिक्शा चालक नजर आए तब, भाजपा ने तो नोटा के प्रचार को रोकने का प्रयास किया लेकिन कांग्रेस इस लोकतान्त्रिक अधिकार को ही न संरक्षित कर पाई न सुरक्षित रख सकी। कांग्रेस की उदासीनता इस प्रकार रही कि बूथों पर पहुंचे कांग्रेस के वोटरों को गाइड करने वाला जमीनी कार्यकर्ता नदारद रहा । मुट्ठी भर कांग्रेस समर्पित कार्यकर्ताओं में  पार्टी के इस रवैये को लेकर आक्रोश दिखाई दिया।

न मतदान प्रबंधन और न ही बूथ प्रतिनिधि मौजूद रहे कांग्रेस के

newso2 ने जब मतदान केन्द्रों पर पहुंचे मतदाताओं से बात की तो अधिकांश मतदाताओं ने कहा कि वे कांग्रेस के प्रत्याशी का निशान न देखकर कंफ्यूज हो गए थे, काईयों ने कमल के फूल तो कईयों ने अन्य विकल्पों को वोट दिया। यहाँ कांग्रेस के वोटरों में ही नोटा को लेकर अनभिज्ञता देखने मिली। न ही वे नोटा जैसे विकल्प जैसे परिचित नजर आए।

कांग्रेस ने दिया भाजपा को वॉक ओवर

ग्राउंड पर मौजूद उक्त वास्तविक स्थिति से ये तो तय है कि कांग्रेस इंदौर लोक सभा सीट पर पूरी तरह चुनाव मैदान से बाहर ही दिखाई दी । हैरान करने वाला विषय ये भी रहा कि लोकतंत्र बचाओ का नारा बुलंद करने वाली कांग्रेस इंदौर में भाजपा के सामने नतमस्तक नजर आई।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।