इंदौर। आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया ने युवा पीढ़ी के जीवन में गहरा प्रभाव डाला है, जिसके चलते रियल लाइफ और रील लाइफ के बीच की दूरी लगातार बढ़ रही है। इसी मुद्दे पर मंथन करने के लिए अभ्यास मंडल द्वारा इंदौर प्रेस क्लब परिसर में “रियल लाइफ बनाम रील लाइफ” विषय पर युवा संवाद का आयोजन किया गया।

डॉ. पल्लवी आढाव ने दिया अभ्यास मंडल का परिचय

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. पल्लवी आढाव ने अभ्यास मंडल का परिचय दिया और डॉ. माला सिंह ठाकुर ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से आज की युवा पीढ़ी किस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान से जूझ रही है।

युवाओं ने रखे विचार: रील लाइफ से रियल लाइफ प्रभावित

शहर के विभिन्न महाविद्यालयों से आए युवाओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली रील लाइफ वास्तविकता से कोसों दूर है, जो युवाओं को मानसिक तनाव और आत्मसम्मान की कमी की ओर धकेल रही है।

  • भवानी शर्मा ने कहा, “30 सेकेंड की रील को वास्तविकता न समझें।”
  • ग्रीष्मा त्रिवेदी ने रील्स को “घिनौनी और भयावह” बताते हुए युवाओं को सचेत किया।
  • सौम्या कुंभज ने कहा, “सोशल मीडिया पर दिखने वाली खुशी वास्तविक नहीं होती।”
  • आदित्य सिंह सेंगर ने कहा, “कुछ लाइक और शेयर के लिए सामाजिक मर्यादाओं को तार-तार किया जा रहा है।”

अन्य वक्ताओं के विचार और वरिष्ठ शिक्षाविदों का मार्गदर्शन

कार्यक्रम में प्रेरणा जैन, मयंक शर्मा, मिलन सिंह सिसोदिया, कृष्ण अग्निहोत्री, आयुष बिजोनिया, आकाश यादव, धनेश धनगर, फिजा खान, आकाश ज़ुम्बे, नयनी शुक्ला, अंजेश सिंह तोमर, पंकज भट्ट सहित कई युवाओं ने अपने विचार साझा किए।
अंत में डॉ. एस.एल गर्ग, डॉ. ओ.पी जोशी और स्वप्निल व्यास ने भी विषय पर मार्गदर्शन देते हुए कहा कि डिजिटल युग में युवाओं को रील लाइफ और रियल लाइफ के बीच अंतर को समझने की जरूरत है।

सफल आयोजन: समाज में जागरूकता फैलाने की पहल

कार्यक्रम का संचालन मयंक शर्मा ने किया और आभार कुणाल भंवर ने व्यक्त किया।
अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, अशोक कोठरी, नेताजी मोहीते, शफी शेख, मुरली खंडेलवाल, और वैशाली खरे की उपस्थिति ने आयोजन को और भी सफल बनाया।

सार : रियल लाइफ की मर्यादाओं को रील लाइफ में सुरक्षित रखना होगा

आज के दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर रील लाइफ में जो अनैतिक और असंवेदनशील सामग्री परोसी जा रही है, उसने युवा पीढ़ी के भविष्य को आभासी दुनिया के अंधकार में धकेल दिया है। इस संवाद के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि रियल लाइफ की मर्यादाओं को रील लाइफ में तार-तार होने से बचाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

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