टिप्पणी: धार्मिक आयोजनों का नाम, लाखों की भीड़ और खस्ताहाल इंतजाम… ये जानलेवा हादसे… आखिर कब थमेंगे… ?

नेहा जैन

उत्तर प्रदेश के हाथरस से करीब 47 किमी दूर एक धार्मिक आयोजन में मची भगदड़ में 122 से अधिक लोगों की मौत खबर लिखे जाने तक सामने आ चुकी है। यहाँ 170 से अधिक घायल हैं, जिनमें से कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। चारों तरफ लाशें और चीत्कार से भरी आ रही सामने आ रही सीधी तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं । हादसे के बाद धार्मिक आयोजनों की फेहरिस्त में एक के बाद एक हो रहे हादसों के बावजूद इस ओर अग्रिम रोकथाम किए जाने को लेकर न देश की, न प्रदेश की और न ही स्थानीय प्रशासन ने और राजनीतिक सत्ताएं पहल करने को तैयार हैं । इससे पहले मध्य प्रदेश के सीहोर में पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित इसी तरह के आयोजन से रक्त रंजित तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। उधर बीते वर्ष रामनवमी के अवसर पर मप्र के इंदौर में धार्मिक आयोजन के दौरान बावड़ी में समाई 36 ज़िंदगियों को अब तक न्याय नहीं मिल सका है ।

धार्मिक आयोजनों में होने वाले हादसों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। बारीकी से देखें तो देश के हर हिस्से से आस्था में डूबी आवाम के मौत के किस्से कोई नई बात नहीं है। यहाँ सवाल ये है कि आखिर इनकी रोकथाम के लिए क्यों कोई पहल नहीं की जाती है। इसका जवाब जानने के लिए जरा गौर कीजिये, इन धार्मिक कथा वाचकों, प्रवचन कर्ताओं के अनुयायियों की संख्या लाखों में मौजूद है। केवल देश के भीतर ही नहीं दुनिया में इनके followers से बसे हुए हैं । ऐसे में हर कोई राजनेता इन कथित कमर्शियल संतों को अपने पक्ष में करने के उद्देश्य से इनके आगे नतमस्तक नजर आता है। जाहिर है इनके पास मौजूद लाखों, करोड़ों अनुयायी इनके एक इशारे पर किसे वोट देना और किसे वोट नहीं देना है, यह तय कर लेते हैं। यही वजह है कि पिछले दो-तीन दशकों में जहां आशाराम जैसे कई संतों के कुकर्मों का भंडाफोड़ हुआ है। बावजूद इसके धर्म और आस्था के नाम पर होने वाले आयोजनों में कथित संत भोले भाले लोगों को कथा के नाम पर टोटके, पाखंड के नाम पर उपाय बेंचकर लाखों की भीड़ जुटा लेते हैं। ऐसे में शासन- प्रशासन की अनदेखी इस तरह के हादसों को जन्म देती है।

कौन हैं यहाँ प्रवचन देकर 50 हजार लोगों को एकत्र करने वाले भोले बाबा ?

पुलिस की नौकरी छोड़ प्रवचन करने लगे सूरज पाल उर्फ भोले बाबा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस जानलेवा सत्संग में प्रवचन देने वाले भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। उनके अनुयायी उन्हें विश्व हरि भोले बाबा के नाम से जानते हैं। सूरज पाल उर्फ भोले बाबा मूल रूप से कासगंज के पटियाली गाँव के रहने वाले हैं । इनहोने यहाँ पटियाली में अपना आश्रम भी बनाया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि लगभग 18 वर्ष पहले पुलिस की नौकरी से वीआरएस लेकर सूरज पाल आस पास के क्षेत्रों में धर्म का प्रचार- प्रसार करने लगे। इस दौरान उन्हें भारी मात्रा में चंदा मिला । बीते 18 सालों में देखते ही देखते सूरज पाल उर्फ भोले बाबा का लाइफ स्टाइल पूरी तरह ही बदल गया। जगह जगह आयोजित सत्संग में लाखों श्रद्धालु उमड़ने लगे। सूरज पाल की खास बात ये है कि वे प्रवचन सफ़ेद पेंट-शर्ट पहनकर कुर्सी पर बैठकर करते हैं। बाबा अपने अनुयायियों को मोह माया से दूर जाकर भगवान की भक्ति में लीन होने का प्रवचन देते हैं। सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश में ही नहीं मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी हैं।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।