इंदौर, 1 सितंबर 2024

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया ‘जय जवान, जय किसान’ नारा देश में खाद्यान्न की कमी को दूर करने और सेना के जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए था। चोपड़ा इंदौर में अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 63वीं वार्षिक व्याख्यान माला के तहत ‘जय जवान, जय किसान’ विषय पर बोल रहे थे।

शास्त्री जी की बायोग्राफी लिख रहे हैं चोपड़ा: चोपड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि जब वे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में पदस्थ हुए, तो उन्होंने पाया कि वहां महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी पर काफी किताबें हैं, लेकिन शास्त्री जी पर केवल 12 किताबें ही थीं। इस कमी को महसूस करते हुए उन्होंने शास्त्री जी पर अध्ययन करना शुरू किया और अब वे उनकी बायोग्राफी लिख रहे हैं, जो जल्द ही पूरी हो जाएगी।

नारे की ताकत: उन्होंने कहा कि नारे सिर्फ शब्द नहीं होते, बल्कि वे उस समय के देश और काल का प्रतीक होते हैं। जिस तरह ‘जय हिंद’ नारा सुभाष चंद्र बोस की याद दिलाता है, उसी तरह ‘जय जवान, जय किसान’ नारा लाल बहादुर शास्त्री की याद दिलाता है। चोपड़ा ने कहा कि 1955 से 1965 का समय देश के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था, जब चीन के साथ हुए युद्ध में हार के बाद सेना का मनोबल गिरा हुआ था और देश में खाद्यान्न की भारी कमी थी। ऐसे में शास्त्री जी ने इस नारे के माध्यम से किसानों को खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और सैनिकों को देश की रक्षा के लिए प्रेरित किया।

लता मंगेशकर के गीत और शास्त्री जी का नारा: चोपड़ा ने कहा कि उस समय लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गीत गाकर लोगों को भावुक कर दिया था। लेकिन जब शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, तो हालात बदल गए और नया गीत ‘कदम से कदम मिलाए जा’ आया, जिसने देश के जवानों और किसानों को नई ऊर्जा दी।

शिक्षक बनने की तैयारी में थे शास्त्री जी: शास्त्री जी के बारे में बताते हुए चोपड़ा ने कहा कि उनके नाना और मामा अंग्रेजी के अच्छे अध्यापक थे और उन्होंने शास्त्री जी को भी अंग्रेजी में दक्ष बनाया। शास्त्री जी शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने देश की सेवा के लिए राजनीति में कदम रखा।

नर्मदा नदी के कारण मध्य प्रदेश में हुआ खाद्यान्न उत्पादन में इजाफा: चोपड़ा ने कहा कि आज मध्य प्रदेश में पंजाब से भी अधिक खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है, जिसका प्रमुख कारण नर्मदा नदी है।

आयोजन के अन्य पहलू: इस अवसर पर इंदौर के संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने शहर में कान्ह और सरस्वती नदियों को साफ करने के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत विनय जैन, कुणाल भंवर, बसंत सोनी, और यान्या सिंह सिसोदिया ने किया, जबकि संचालन मनीषा गौर ने किया। कार्यक्रम का समापन व्याख्यान माला समिति के उपाध्यक्ष अशोक जायसवाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

सोमवार को पवन खेड़ा का व्याख्यान

आगामी व्याख्यान: अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर पटेल और सचिव शिवाजी मोहते ने बताया कि 2 सितंबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा का व्याख्यान होगा, जिसका विषय है ‘संवैधानिक मूल्य और चुनौतियां’। यह व्याख्यान शाम 6:30 बजे जाल सभागृह में आयोजित होगा।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।