राजेश जैन, ‘दद्दू’

इंदौर/नादनी 14 सितंबर 2024 (न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126।  पर्वराज पर्युषण महापर्व के अंतर्गत आयोजित “श्रावक साधना-संयम संस्कार शिविर” में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने अपने धर्मसभा संबोधन में कहा कि “ज्ञान प्रकाशक है, तप शोधक है। तपस्या से आत्म-सिद्धि होती है, कर्मों का क्षय होता है और कषायें मंद होती हैं। तप सुख-शांति का सर्वोत्तम उपाय है, मुक्ति का साधन है और आनंद का द्वार है।” उन्होंने आगे कहा कि जितना अधिक हम संग्रह करेंगे, उतनी ही पीड़ा, दुःख और चिंताएँ बढ़ेंगी। संग्रह में भय, कलह, ईर्ष्या, भटकाव और बंधन है, जो संसार के भ्रमण का कारण है।

आचार्य श्री ने बताया कि तप दो प्रकार के होते हैं— बाह्य और अंतरंग। बाह्य तप में अनशन (उपवास), ऊनोदर (भूख से कम खाना), वृत्तिपरिसंख्यान, रस परित्याग, विविक्त शयनासन और काय-क्लेश शामिल हैं। अंतरंग तप में प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, व्युत्सर्ग और ध्यान आते हैं। उन्होंने कहा, “निस्वार्थ भावना से किया गया तप ही वास्तव में कल्याणकारी होता है। आकांक्षा सहित किया गया तप स्वर्ग तक पहुंचा सकता है, लेकिन वह कर्म शांति और मुक्ति का साधन नहीं होता। संयम के साथ किया गया तप सर्वश्रेष्ठ होता है, और आत्म-कल्याण के उद्देश्य से किया गया तप ही शांति का साधन है।”

आचार्य श्री ने यह भी बताया कि साधना में मुद्राओं का विशेष महत्व होता है और शरीर साधना में सहायक है। प्राणायाम और योग से शरीर स्वस्थ होता है, जबकि तत्व-चिंतन और आत्मध्यान से चेतना स्वस्थ होती है। तप साधना से तन और आत्मा दोनों ही स्वस्थ होते हैं। उन्होंने कहा, “तप करो, कर्म हरो। जप करो, सिद्धि प्राप्त करो। तप निर्जरा का साधन है। राग-द्वेष के त्याग पूर्वक क्षमावान साधु के तप से धर्म का उत्थान होता है। भोगों में शांति नहीं है, योग में आनंद है। भोग छोड़ो और योग धारण करो।” आचार्य श्री ने मुनिराजों की साधना का उदाहरण देते हुए कहा कि दिगंबर मुनिराज वर्षाकाल में वृक्ष के नीचे, ग्रीष्म में सूर्य की ओर मुख करके आतपन योग धारण करते हैं और ठंड में नदी तट पर योग साधना करते हैं। यह योग उनके कर्मों का क्षय कराता है और मुक्ति का साधन बनता है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।