विकसित भारत के लिए सीता की नवधा भक्ति


डॉ. मंगल मिश्र, शिक्षाविद


सीता आदिशक्ति का ही स्वरुप है। फिर वह शिव के साथ पार्वती के रूप में हो या राम के साथ सीता के रूप में। सब प्रकार के व्यक्तिगत स्वार्थों से रहित देश का प्रधान सेवक जब प्राण-प्रण से अपने आराध्य राष्ट्र की प्रगति के लिए प्रयास कर रहा हो, तो श्रावण मास में सीता द्वारा नवधा भक्ति की जाना स्वाभाविक है। इस बार वित्त मंत्री सीतारमन ने कीर्तिमान रचते हुए लगातार सातवीं बार बजट प्रस्तुत कर मानो जनता-जनार्दन की सरगम के साथ नवधा-भक्ति की है, और इस नवधा-भक्ति में सम्मिलित नौ तत्व खेती में उत्पादकता, रोजगार और क्षमता का विकास, समग्र मानव संसाधन विकास तथा सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएँ, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, अधोसंरचना, नवाचार, शोध व विकास, तथा अगली पीढ़ी के सुधार – ये नौ तत्व रहे हैं।
एक ऐसे दौर में जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं, भारतीय बजट 2024 रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रतीक बनकर उभरा है। यह निश्चित ही 2047 तक ‘विकसित भारत’ की दिशा में मार्ग प्रशस्त करने के लिए महत्वाकांक्षा और व्यवहारिकता के बीच संतुलन बनाने वाला बजट है। यह केंद्रीय बजट, आर्थिक नीति और भविष्य की योजना का एक ‘मास्टरस्ट्रोक’ है, जिसे उल्लेखनीय सटीकता के साथ प्रस्तुत किया गया है। विकसित भारत के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता यह बजट राजकोषीय विवेक, बुनियादी ढांचे में निवेश और सामाजिक सुधार का एक परिदृश्य प्रस्तुत करता है। संख्याएँ एक ऐसे राष्ट्र की तस्वीर पेश करती हैं जो आर्थिक रूप से मजबूत और तकनीकी रूप से उन्नत भविष्य की ओर दृढ़ता से अपना रास्ता बना रहा है।


इस बजट के केंद्र में ₹11.11 लाख करोड़ का एक विशाल पूंजीगत व्यय आवंटन है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.4% है। यह अंतरिम बजट में प्रस्तावित राशि के समान है। यह पर्याप्त निवेश केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचे में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया उत्प्रेरक है। सौ शहरों में या उसके आस-पास औद्योगिक पार्क बनाने पर सरकार का ध्यान व्यवसायों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने की उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस रणनीतिक कदम से रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने और विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने की उम्मीद है, जिससे भविष्य के विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी जा सकेगी।


बजट में राजकोषीय प्रबंधन के लिए एक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण भी दिखाया गया है, जिसमें वित्त वर्ष 25 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9% अनुमानित है, जो अंतरिम बजट में अनुमानित 5.1% से उल्लेखनीय कमी है। यह रूढ़िवादी अनुमान निकट भविष्य में 4.5% से नीचे के घाटे को प्राप्त करने का प्रयास करते हुए राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने के सरकार के संकल्प को रेखांकित करता है। इस तरह का वित्तीय प्रबंधन न केवल ऋण को कम करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि जटिल आर्थिक परिदृश्य को नेविगेट करने में एक स्थिर हाथ का संकेत भी देता है।


देश की तकनीकी और औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयास में, बजट में सीमा शुल्क में कई कटौतियाँ की गई हैं, जिसमें सोने और चाँदी पर शुल्क घटाकर 6% और प्लैटिनम पर 6.4% कर दिया गया है। इसके अलावा, लिथियम, तांबा और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से छूट दी गई है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा के उभरते क्षेत्रों को समर्थन मिलेगा। सौर सेल निर्माण में उपयोग किए जाने वाले छूट प्राप्त पूंजीगत सामानों की सूची का विस्तार, साथ ही स्पैन्डेक्स यार्न और कनेक्टर पर शुल्क में कटौती, नवाचार और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।


अगले पाँच वर्षों में हब-एंड-स्पोक मॉडल में 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) का उन्नयन व्यावसायिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता और परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया है। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की शुरुआत, जिसका लक्ष्य शीर्ष कंपनियों के माध्यम से 1 करोड़ युवाओं को कौशल प्रदान करना और ₹5,000 का मासिक भत्ता प्रदान करना है, कौशल अंतर को पाटने और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई एक उल्लेखनीय पहल है।


इसके अतिरिक्त, बजट में रोजगार से जुड़े प्रोत्साहनों का एक सेट पेश किया गया है, जिसमें पहली बार कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए वित्तीय सहायता और ईपीएफओ अंशदान के लिए प्रति माह ₹3,000 तक की प्रतिपूर्ति शामिल है। ये उपाय रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित हैं, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में, जबकि कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करते हैं।


इसी प्रकार, उच्च शिक्षा ऋण के लिए ई-वाउचर की शुरुआत, शैक्षिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रोजगार सृजन और युवा कौशल पर केंद्रित नई योजनाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन एक कुशल और सक्षम कार्यबल को पोषित करने की सरकार की मंशा का स्पष्ट संकेत है।


जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता से जूझ रही है, यह बजट भारत को एक लचीली और दूरदर्शी अर्थव्यवस्था बनाने की ओर अग्रसर करता है। यह केवल मौजूदा आर्थिक चुनौतियों से निपटने पर ही केन्द्रित नहीं है, बल्कि एक समृद्ध भविष्य की नींव रखने के बारे में भी है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत के विजन के साथ अपनी नीतियों को संरेखित करके, बजट न केवल तत्काल जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि सतत विकास और विकास के लिए मंच भी तैयार करता है।


विश्व में सबसे तेज़ गति से बढती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में इस बजट में रोजगार, कौशल, लघु और माध्यम उद्योग तथा मध्यम वर्ग – इन चतुर्विध स्तंभों पर विकसित भारत की आधारशिला बड़े सशक्त तरीके से स्थापित हुई है। बजट का क्रियान्वयन जितना अधिक समय सीमा में होगा, श्रावण मास की ये फुहारें उतने अधिक विकास के हरे-भरे वृक्षों को पल्लवित, पुष्पित और फलित करेगी।