इंदौर/नई दिल्ली, 03 दिसंबर 2024,(न्यूजओ2 डॉट कॉम)/7724038126: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि विधवा को कोर्ट में नहीं घसीटा जाना चाहिए था। पीठ ने अपने आदेश में कहा, हमारे विचार में, इस तरह के मामले में, प्रतिवादी (विधवा) को इस अदालत में नहीं घसीटा जाना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आतंकवाद विरोधी गश्त के दौरान बलिदान हुए सैनिक नायक इंद्रजीत सिंह की विधवा पत्नी सरोज देवी को पेंशन देने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए केंद्र पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने उदारीकृत पेंशन देने का आदेश दिया था।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपने आदेश में कहा, हमारे विचार में, इस तरह के मामले में, प्रतिवादी (विधवा) को इस अदालत में नहीं घसीटा जाना चाहिए था। अपीलकर्ताओं के निर्णय लेने वाले प्राधिकारी को एक बलिदान सैनिक (नायक इंद्रजीत सिंह) की विधवा के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए थी, जिसकी युद्ध में जान चली गई थी। इसलिए, हम 50,000 रुपये का जुर्माना लगाते हैं जो प्रतिवादी को देय होगा।
क्या है मामला ?
दरअसल नायक इंद्रजीत सिंह की 2013 में सेना में लाइन ऑफ कंट्रोल पर ड्यूटी के दौरान मौसम के प्रतिकूल होने से स्वास्थ्य बिगड़ गया था । डॉक्टरों के अनुसार उनकी कार्डियो पलमोनरी अरेस्ट से मृत्यु हो गई थी। शुरुआत में तो उनकी मौत को ‘ युद्ध में दुर्घटना में मृत्यु’ के रूप में वर्गीकृत किया गया । इसके बाद सैन्य सेवा में ‘शारीरिक दुर्घटना’ से मृत्यु के रूप में बदल दिया गया। उनकी विधवा को उदारीकृत फेमिली पेंशन (LFP) का लाभ नहीं दिया गया। जिसके खिलाफ उन्होने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण का दरबाजा खटखटाया। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने विधवा के पक्ष में फैसला देते हुए भारत सरकार को एलएफ़पी दिये जाने के आदेश दिये। भारत सरकार ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा और भारत सरकार को फटकार लगाते हुए 50 हजार का जुर्माना भी ठोका है। साथ ही यह राशि दो माह में विधवा को दिये जाने के आदेश दिये हैं। एलएफपी का लाभ 2013 से दिया जाना होगा।