इंदौर, 1 सितंबर 2024:
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति राजेश बिंदल ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को हमेशा एक आर्टिफिशियल सिस्टम के रूप में ही देखा जाना चाहिए, यह वास्तविकता नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि सिस्टम पर हम जो भी गतिविधि करते हैं, उसी से डाटा तैयार होता है।
न्यायाधिपति बिंदल ने यह बात इंदौर में अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 63वीं वार्षिक व्याख्यान माला के तहत “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: अवसर एवं चुनौती” विषय पर आयोजित व्याख्यान के दौरान कही। उन्होंने कहा कि आज के समय में हमारा समाज और खासकर बच्चे, AI से बहुत अधिक जुड़ चुके हैं। अब बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ कम, और मोबाइल के साथ ज्यादा समय बिताते हैं।
उन्होंने AI के संभावित खतरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि AI से प्राप्त जानकारी के अनुवाद में अक्सर त्रुटियां हो जाती हैं, जिससे अर्थ का अनर्थ हो सकता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जब ‘लीव ग्रांटेड’ लिखा जाता है और इसका अनुवाद कराया जाता है तो यह ‘छुट्टी मंजूर’ के रूप में सामने आता है, जो पूरी तरह गलत है।
बिंदल ने बताया कि कैसे हमारे द्वारा सिस्टम पर की गई गतिविधियों से डाटा तैयार होता है और इसका उपयोग हमें सेवाओं की पेशकश करने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि अब आपके द्वारा बुक की गई टिकट के आधार पर आपको संबंधित शहर के होटलों और अन्य सेवाओं की जानकारी मिलनी शुरू हो जाती है। यह सब AI के जरिए ही संभव हो रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि AI का एक सकारात्मक पक्ष भी है, जिससे कई काम तेज गति से और आसानी से हो जाते हैं। तकनीक के माध्यम से अब यह संभव हो पाया है कि आप इंदौर में बैठकर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं और उसकी सुनवाई में भी शामिल हो सकते हैं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने AI का इंदौर में उपयोग और जनता को दी जा रही सुविधाओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर पूर्व न्यायाधीश एस एस केमकर और समाजसेवी अशोक बडजात्या ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ल, पूर्व न्यायाधीश आई एस श्रीवास्तव, और बड़ी संख्या में अधिवक्तागण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अशोक कोठारी ने किया और अतिथियों का स्वागत दीप्ति गौड़, अभिनव धनोडकर, आदित्य डगांवकर, और श्रुति जैन ने किया। अंत में, मेडिकैप्स विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश मित्तल ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए।