इंदौर में सेमिनार में हुआ ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स और कर दायित्वों पर मंथन
इंदौर । भूमि की बढ़ती कीमतों और तेजी से विकसित होते रियल एस्टेट सेक्टर में ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट (JDA) के तहत ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (TDR) की प्रक्रिया आम होती जा रही है। लेकिन टीडीआर पर जीएसटी को लेकर अब भी कर विशेषज्ञों और डेवलपर्स में भ्रम बना हुआ है। इस विषय पर स्पष्टता लाने के लिए टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन और इंदौर सीए ब्रांच द्वारा संयुक्त सेमिनार आयोजित किया गया।
TDR पर टैक्स लगेगा या नहीं? विशेषज्ञों ने रखा पक्ष
सेमिनार के मुख्य वक्ता एडवोकेट अरविंद सिंह चावला ने कहा कि टीडीआर को भूमि से जुड़ा अधिकार माना जाना चाहिए और जीएसटी अधिनियम के तहत इसे भूमि माना गया है, इसलिए इस पर टैक्स नहीं बनता। उन्होंने कहा कि यदि भू-स्वामी और डेवलपर के बीच समझौता केवल निर्माण और बंटवारे पर आधारित है, तभी जीएसटी लागू होता है।
अनुबंध की शर्तें तय करेंगी टैक्स दायित्व
सीए सुनील पी जैन, सेक्रेटरी सीजीएसटी, ने बताया कि देशभर में विभिन्न एडवांस रूलिंग में टीडीआर पर भिन्न-भिन्न व्याख्याएं दी गई हैं, जिससे स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि JDA के मसौदे को बेहद सावधानीपूर्वक तैयार करना चाहिए, क्योंकि यही कर निर्धारण का आधार बनेगा।
डेवलपर या भू-स्वामी? कौन देगा टैक्स?
विशेषज्ञों ने बताया कि जहां टैक्स लागू होता है, वहां इसकी जिम्मेदारी डेवलपर की होगी। हालांकि, कुछ मामलों में भू-स्वामी पर भी टैक्स बन सकता है, लेकिन वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत राहत ले सकता है।
सरकार से विस्तृत स्पष्टीकरण की मांग
एसोसिएशन प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ ने अपने वक्तव्य में कहा कि सरकार को इस विषय पर जल्द से जल्द स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिए। सीए कृष्ण गर्ग ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि यह सेमिनार टीडीआर और जीएसटी के कानूनी और तकनीकी पहलुओं को समझने के लिए अत्यंत उपयोगी रहा।
कार्यक्रम में सीए उमेश गोयल, सीए एस एन गोयल, शैलेन्द्र पोरवाल, निखिल जैन सहित अनेक कर विशेषज्ञ उपस्थित रहे।