अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई: बाघों के लिए मध्यप्रदेश बना आदर्श स्थान

इंदौर, 28 जुलाई 2024:

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर, मध्यप्रदेश ने अपनी बाघों की संख्या और संरक्षण प्रयासों को लेकर गर्व का इज़हार किया। बाघों की सुंदरता और उनकी बढ़ती संख्या पर गर्व करते हुए, मध्यप्रदेश ने यह प्रदर्शित किया कि यहाँ बाघों का डेरा है और यहाँ के लोग अपने बाघों पर अभिमान करते हैं। शासन का दावा है कि देश में बाघों की संख्या 3682 है जो विश्व की बाघों की संख्या का 75 प्रतिशत है। इसी क्रम में देश के सबसे अधिक 785 बाघ मध्य प्रदेश में हैं जो देश में बाघों की संख्या का 21.31 प्रतिशत हैं। इंदौर जनसम्पर्क द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पिछले चार-पांच वर्षों में 259 बाघों की वृद्धि हुई है, जो 2010 में 257 बाघों की कुल संख्या से अधिक है। वन विभाग की अथक मेहनत और स्थानीय लोगों के सहयोग से बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।

बाघ प्रदेश बनने की यात्रा

मध्यप्रदेश को बाघ प्रदेश बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए। 2006 से हर 4 साल में बाघों की गणना की जाती है और 2010 में बाघों की संख्या 257 थी। इसे बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय संरक्षण और संवेदनशील प्रयास किए गए। 16 रीजनल रेस्क्यू स्क्वाड और जिला स्तरीय रेस्क्यू स्क्वाड का गठन किया गया, साथ ही वन्यप्राणी अपराधों की जांच के लिए 16 श्वान दलों की स्थापना की गई।

बाघ प्रदेश के चार मुख्य पहलू

  1. गांवों का वैज्ञानिक विस्थापन: 2010 से 2022 तक टाइगर रिजर्व में बसे 200 छोटे गांवों को विस्थापित किया गया।
  2. ट्रांसलोकेशन: कान्हा के बारहसिंगा, बायसन और वाइल्ड बोर का ट्रांसलोकेशन कर अन्य टाइगर रिजर्व में बसाया गया।
  3. हैबिटेट विकास: खाली हुए गांवों और खेतों में घास के मैदान और तालाब विकसित किए गए।
  4. सुरक्षा व्यवस्था में सुधार: पन्ना टाइगर रिजर्व में ड्रोन से निगरानी और वन्यप्राणी अपराधों की रोकथाम के लिए नवीन तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।

तेंदुओं की बढ़ती संख्या

मध्यप्रदेश में तेंदुओं की संख्या 4100 से अधिक है, जो देश में सबसे अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर तेंदुओं की आबादी औसतन 60% बढ़ी है, जबकि प्रदेश में यह 80% है।

राष्ट्रीय उद्यानों का बेहतर प्रबंधन

वर्ष 2010 के सेंट पीटर्सबर्ग बाघ सम्मेलन के वादे के अनुसार, बाघों की संख्या को दोगुना करने में मध्यप्रदेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदेश के बाघ प्रबंधन में निरंतरता और सुधार की वजह से बाघों की संख्या में 33% की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश ने बाघों की बढ़ती संख्या और उनके संरक्षण में अपनी उत्कृष्टता साबित की है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया गया है और पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में सर्वोच्च रैंक हासिल की है। ये उपलब्धियाँ मध्यप्रदेश की बाघ संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता और प्रभावशाली प्रबंधन का प्रमाण हैं।