जियो, एयरटेल, वोडाफोन ने बढ़ाया टेरिफ़ प्लान, 109 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं पर 34 हजार करोड़ का भार
इंदौर/ नई दिल्ली
6 जुलाई 2024
देश में 3-4 जुलाई से टॉप सेल फोन कंपनी जियो रिलायन्स, एयरटेल और आइडिया वोडाफोन द्वारा मोबाइल फोन टेरिफ़ प्लान बढ़ा दिया गया है। जिसे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरते हुए क्रोनी कैपटलिज्म (पूँजीपतियों को लाभ देने) आरोप लगाए हैं। कांग्रेस सचिव रणदीप सुरजेवाला ने शुक्रवार को कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए कहा इन तीनों कंपनियों का बाजार में शेयर 91 फीसदी है। कुल मोबाइल फोन यूजर्स में 91 फीसदी यूजर्स इन तीन कंपनियों के हैं। उन्होने कहा औसतन 15 फीसदी रेट बढ्ने से देश के 109 करोड़ सेल फोन यूजर्स पर 34 हजार करोड़ का भार आ गया है। सुरजेवाला ने कहा रेट बढ़ाने के लिए सरकार ने चुनाव तक इंतजार किया। सरकार बनते ही रेट बढ़ा दिये। उन्होने मोबाइल फोन कंपनियों के नियंत्रण पर ट्राई के असफल होने के भी आरोप लगाये हैं। कांग्रेस पार्टी ने सवाल किया कि कंपनियों को बिना किसी निगरानी और नियमन के एकतरफा तरीके से दरें बढ़ाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। इन तीनों कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 91.6 प्रतिशत या 31 दिसंबर, 2023 तक कुल 119 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं में से इनके 109 करोड़ उपयोगकर्ता थे।
सुरजेवाला ने कहा 31 दिसंबर 2023 तक भारत में मोबाइल फोन बाजार पर रिलायंस जियो (48 करोड़ उपयोगकर्ता), एयरटेल (39 करोड़ उपयोगकर्ता), वोडाफोन आइडिया (22.37 करोड़ उपयोगकर्ता) का एकाधिकार है।
आपसी सहमति से तीनों कंपनियों ने बढ़ाई दर
सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा, कि जियो, एयरटेल और वोडोफोन तीनों ने आपसी बातचीत कर एक साथ रेट बढ़ाएँ हैं क्योंकि एक कंपनी ने 3 और अन्य कंपनियों ने 4 जुलाई को रेट बढ़ाए और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रत्यक्ष सहमति है।
सरकार और ट्राय ने ज़िम्मेदारी से मुंह क्यों मोड़ा ?
सुरजेवाला ने पूछा कि मोदी सरकार और ट्राई ने 109 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के प्रति अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी से मुंह क्यों मोड़ लिया? क्या संसदीय चुनाव संपन्न होने तक मोबाइल फोन की शुल्क में वृद्धि रोककर नहीं रखी गई? साथ ही सवाल किया कि क्या मोदी सरकार या ट्राई ने दूरसंचार नीति, 1999 के तहत देय समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर रियायतों के पिछले सेट या 20 नवंबर, 2019 को मोदी 2.0 द्वारा ”स्पेक्ट्रम नीलामी किस्तों” को स्थगित करने या अन्य संबंधित कारकों को ध्यान में रखते हुए नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम की खरीद से लाभप्रदता पर प्रभाव या पूंजीगत व्यय की आवश्यकता पर कोई अध्ययन किया है।