नई दिल्ली: भारत की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) का अधिग्रहण आखिरकार तय हो गया है। लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रही इस एजेंसी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मंजूरी के बाद एक नया मालिक मिल गया है। लेकिन कौन है यह नया खरीदार, और इसके पीछे क्या बड़ी रणनीति है?

UNI न्यूज एजेंसी लेटेस्ट अपडेट, सूत्रों के मुताबिक, यह सौदा इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत पूरा किया गया, जिससे UNI के पुनरुद्धार की राह खुल गई है। खबरें आ रही हैं कि द स्टेट्समैन लिमिटेड ने इसे अपने अधिकार में ले लिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अधिग्रहण सिर्फ एक कारोबारी फैसला है, या इसके पीछे कोई गहरी योजना छिपी है?

क्यों बेची गई UNI? जानिए पूरी कहानी

1959 में स्थापित UNI (United News of India) भारत की दूसरी सबसे बड़ी न्यूज एजेंसी है, जो अंग्रेजी, हिंदी (यूनीवार्ता) और उर्दू में समाचार सेवाएं प्रदान करती है। हाल के वर्षों में आर्थिक संकट के कारण यह एजेंसी भारी कर्ज में डूब गई थी, जिसके बाद इसे IBC के तहत समाधान प्रक्रिया में लाया गया।

IBC कैसे बना UNI के लिए संजीवनी?

NCLT द्वारा नियुक्त रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (RP) पूजा बाहरी ने कहा:
“UNI का पुनर्जीवन ऐतिहासिक क्षण है। IBC की मदद से इस संस्था को बचाने का रास्ता मिला है, जो इस कानून की प्रभावशीलता को दर्शाता है।”

UNI पिछले कई वर्षों से वित्तीय संकट से गुजर रही थी, लेकिन IBC के तहत समाधान प्रक्रिया के बाद अब इसका पुनरुद्धार संभव हो सका है।

कौन है UNI का नया मालिक?

UNI को खरीदने की दौड़ में कई दिग्गज शामिल थे, लेकिन अंततः ‘द स्टेट्समैन लिमिटेड’ का प्रस्ताव मंजूर किया गया।

फरवरी 2024 में हुई नीलामी में अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी के बहनोई राकेश शाह सहित पांच लोगों ने बोली लगाई थी, लेकिन स्टेट्समैन लिमिटेड ने बाजी मार ली।

द स्टेट्समैन लिमिटेड कौन है?

  • यह भारत के सबसे पुराने अंग्रेजी अखबारों में से एक The Statesman का मालिक है।
  • 1875 में स्थापित इस मीडिया हाउस की पत्रकारिता में मजबूत पकड़ रही है।
  • अब यह UNI को नए सिरे से स्थापित करने के लिए रणनीति बना रहा है।

UNI के प्रमुख ग्राहक और भविष्य की संभावनाएं

UNI के ग्राहक सूची में शामिल हैं:
✔ हिंदुस्तान टाइम्स सिंडिकेशन
✔ दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी, राष्ट्रीय सहारा, सामना
✔ विभिन्न राज्य सरकारें और प्रमुख राजनीतिक दल

वर्तमान में UNI में 250 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें पत्रकार, फोटो पत्रकार और अन्य गैर-पत्रकार शामिल हैं। इसके अलावा, देशभर में फैले फ्रीलांसर और स्ट्रिंगर नेटवर्क इसकी रीढ़ बने हुए हैं।

क्या UNI फिर से खड़ा हो सकेगा?

UNI के पुनरुद्धार से उम्मीद जताई जा रही है कि यह फिर से भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में अपनी मजबूत पकड़ बना सकेगा। नई मालिक कंपनी The Statesman Limited इसे डिजिटल युग के हिसाब से ढालने की तैयारी कर रही है, जिससे इसकी पहुंच और प्रभाव पहले से ज्यादा बढ़ सकता है।

संभावित बदलाव:

✅ डिजिटलाइजेशन: UNI अब डिजिटल मीडिया पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है।
✅ आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: AI और डेटा एनालिटिक्स के जरिए समाचार वितरण में सुधार हो सकता है।
✅ नए ग्राहक जुड़ सकते हैं: अधिक न्यूज पोर्टल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म इसके ग्राहक बन सकते हैं।

Indian मीडिया में बड़ा बदलाव?

UNI के नए मालिक और IBC के तहत इसके पुनर्गठन से भारतीय मीडिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अब देखना होगा कि The Statesman Limited इसे किस तरह से पुनर्जीवित करता है और UNI भारतीय पत्रकारिता में फिर से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल कर पाता है या नहीं।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

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