खराब स्वास्थ्य के बीच विराग सागर की सुधा सागर से हुई थी चर्चा

04 जुलाई 2024

राष्ट्रसंत गणाचार्य विरागसागर महाराज की संलेखना समाधि बुध-गुरुवार की मध्यरात्रि 2.30 बजे महाराष्ट्र के जालना में हो गई है। बुंदेलखंड के पहले आचार्य विरागसागर की कम उम्र में आकस्मिक संलेखना का समाचार हर किसी को स्तब्ध कर देने वाला है। विरागसागर महाराज की दो दिन से स्वास्थ्य असामान्य था। आचार्य विध्या सागर महाराज के परम शिष्य सुधा सागर महाराज ने एक वीडियो में दावा किया कि जब विराग सागर महाराज का स्वास्थ्य बिगड़ा था, तब उन्होने मुझसे चर्चा करने खबर भिजवाई थी।

सुधा सागर महाराज ने प्रवचन में जानकारी देते हुए बताया कि वे विहार कर रहे थे, तभी किसी के माध्यम से उन्हें सूचना मिली कि विराग सागर महाराज उनसे चर्चा करना चाहते हैं। मैं समझ नहीं पाया लेकिन जब तीन बार उन्होने सूचना भिजवाई तो मैंने उनसे बात की। तब पता चला उन्हें हार्ट अटैक आया है। मैंने उनसे कहा आप घबराना मत, सुबह तक ठीक हो जाओगे। अगले दिन विराग सागर महाराज के नाम से हमने शांति धारा की, उसके बाद वे ठीक भी हो गए, पता चला उनके आहार भी अच्छे से हुए हैं लेकिन फिर अचानक देर रात समाधि होना स्तब्ध करने वाला है। यमराज ने भी उनसे कहा होगा कि ऐसे समय ले जाएँगे जब तुम न शांति धारा कर पाओगे न ही चर्चा कर पाओगे। अर्धरात्रि 2:30 बजे उनका समाधि मरण हुआ। इसी तरह आचार्य विध्यासागर महाराज का भी रात 2:35 पर समाधि मरण हुआ था।

समाधि से गम तो है लेकिन ये वैराग्य की ओर ले जाता है

सुधा सागर महाराज ने कहा कि आचार्य विराग सागर के अचानक चलने जाने से उनके संघ में गम तो होगा लेकिन ये कदम वैराग्य की ओर ले जाते हैं। इस प्रकृति की क्या नीयत है? कुछ घंटे पहले व्यक्ति अच्छा बैठा है और फिर अचानक चला जाता है। धर्म की भाषा में इस अनियत धारा ने राग को खत्म करके वैराग्य की तरफ बढ़ा दिया है। इन घटनाओं को सुनकर वैराग्य में वृद्धि होती है। इच्छाओं पर विराम लगता है। मूर्छा में, कल्पनाओं में कमी आती है। महाराज ने कहा कि उनके लिए एक विन्यांजली, श्रद्धांजलि के रूप में उनके कार्य याद करें। महाराज धर्म के वेश को लेकर गए हैं। ये लोग तो भगवान के समोशरण में पहुँच गए होंगे। वे मजे में होंगे और हम लोग यहाँ राग कर रहे हैं।

संघ अनाथ नहीं, अच्छी व्यवस्थाएं कर गए हैं विराग सागर

सुधा सागर महराज ने आगे कहा कि श्रमण संस्कृति के प्रचारक आचार्य विराग सागर कम उम्र में सब छोड़ कर गए हैं। लेकिन उनके जाने के बाद उनका संघ अनाथ नहीं हुआ है। उन्होने अपने संघ की अच्छी व्यवस्था शुरू से करके रखी थी, जैसे उनको पहले से आभास हो। उन्होने संघ को विभाजित करके सबको जिम्मेदारियाँ दे रखी थीं। वे श्रमण संस्कृति की कतार खड़ी करके गए हैं।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (UNI) से जुड़े। स्वतंत्र विश्लेषक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरी पकड़। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta यूट्यूब चैनल और NewsO2.com से जुड़े। 📌 निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।