संघ की शाखाओं में शासकीय कर्मचारी अब न केवल जा सकेंगे बल्कि कदम ताल भी कर सकेंगे , केंद्र सरकार के प्रतिबंध हटाने के बाद इंदौर हाई कोर्ट ने भी दी राहत
पाँच दशक पहले केंद्र सरकार ने संघ की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर क्यों लगाया था प्रतिबंध ?
संघ के प्रति मोदी सरकार पर लग रहे उदासीनता के आरोप पर क्या बोले याचिकाकर्ता गुप्ता
कार्यकाल पूरा होते ही न्यायधीशों का राजनीतिक दलों/ लाभ के पद जॉइन करना क्या उचित है ?
इंदौर, 26 जुलाई 2024
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रति अचानक केंद्र सरकार के उदार रवैये के बाद अब मप्र हाई कोर्ट ने भी उस प्रतिबंध को हटा दिया है जिसमें सरकारी कर्मचारियों पर संघ की शाखाओं में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस मामले में फैसला देते हुए इंदौर हाई कोर्ट की युगल पीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति एस ए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेन्द्र सिंह ने ये भी टिप्पणी की कि पाँच दशक में सरकार ये नहीं बता पाई है कि संघ की शाखाओं में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया था? हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम गुप्ता आज इंदौर के संघ कार्यालय पर मीडिया से रुबरु हुए। यहाँ उन्होने कहा कि कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि अब सरकारी कर्मचारियों को शाखा में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
आपको बता दें पुरुषोत्तम गुप्ता केंद्र सरकार के इंदौर स्थित एक विभाग में 39 सेवारत थे। 2022 में रिटायर्ड होने के बाद वे 2024 में संघ की शाखाओं में शासकीय कर्मचारियों के जाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने के उद्देश्य से इंदौर हाई कोर्ट की शरण में गए थे। कोर्ट ने गुप्ता की याचिका पर केंद्र सरकार को 5 अवसर दिये कि आखिर वह बताए प्रतिबंध लगाने की वजह क्या है, लेकिन केंद्र सरकार इस मामले में हाई कोर्ट को जवाब नहीं दे सकी। उधर हाई कोर्ट को जवाब देने बचती रही केंद्र सरकार ने बीती 9 जुलाई 2024 को एक संसोधित आदेश जारी करते हुए आरएसएस की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के सम्मिलित होने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया। केंद्र सरकार के इसी प्रतिबंध को हटाने वाले आदेश को आधार बनाकर हाई कोर्ट से भी निराकरण की अपील की गई। जिस पर हाई कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी है। जिसके फलस्वरूप अब सरकारी कर्मचारी-अधिकारी अपनी स्वेच्छा से संघ की शाखाओं में न केवल शामिल हो सकेंगे बल्कि कदमताल भी कर सकेंगे।
क्यों लगा था संघ पर प्रतिबंध ?
कॉंग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की माने तो 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद संघ द्वारा अच्छे आचरण का आश्वासन दिये जाने के बाद प्रतिबंध को हटा दिया गया था। इसके बाद भी जब संघ ने अपने नागपुर के मुख्यालय पर तिरंगा झण्डा फहराने से परहेज किया तब 1966 में संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर बैन लगा दिया गया था। कॉंग्रेस नेता प्रतिबंध हटाये जाने का विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक इससे नौकरशाही अपने कर्तव्यों और अधिकारों का तटस्थ रहकर निर्वहन नहीं कर सकेगी।
आरएसएस ने केंद्र और कोर्ट के फैसले को सराहा
संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रभारी सुनील आंदेकर ने कहा कि संघ लगभग 99 वर्षों से राष्ट्र के पुन: निर्माण और समाज के प्रति समर्पित होकर सेवा कार्य में लगा हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और आपदाओं में संघ की भूमिका सराहनीय रही है। संघ का आरोप है कि अपने राजनीतिक हितों के कारण तत्कालीन सरकार ने आधारहीन तरीके से संघ की रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों को प्रतिबंधित कर दिया था।
पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार की आरएसएस के प्रति उदासीनता की क्या है वजह ?
संघ की विचारधारा से प्रेरित और इंदौर हाई कोर्ट में प्रतिबंध हटाने को लेकर याचिका दाखिल करने वाले पुरुषोत्तम गुप्ता से न्यूजओ2 की संवाददाता नेहा जैन ने आज दो सवाल पूछे हैं। पहला सवाल कि क्या कारण है जो एक दशक से काबिज पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार को संघ की शाखाओं में शासकीय कर्मचारियों के प्रवेश से प्रतिबंध हटाने में एक दशक से ज्यादा का समय लग गया। जिस पर गुप्ता ने कहा कि सरकार आती जाती रहती हैं। ये कहना गलत है कि मोदी सरकार प्रतिबंध हटाने में उदासीन रही । ये हो सकता है कि मोदी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। लेकिन हमें खुशी है कि अब जब केंद्र सरकार के प्रतिबंध हटाने के फैसले पर हाई कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। अब यह फैसला आसानी से बदला नहीं जा सकेगा। इसी क्रम में न्यूजओ2 ने दूसरा सवाल ये भी पूछा कि हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से शीर्षस्थ संवैधानिक संस्थाओं में पदस्थ जजों का कार्यकाल पूरा होते ही उनका राजनीतिक दलों में शामिल होना क्या लोकतन्त्र को कमजोर नहीं करेगा ? जिस पर गुप्ता ने कहा कि समाज सेवा से किसी को रोका नहीं जा सकता है। शासकीय सेवा में कार्यकाल पूरा होने के बाद हर व्यक्ति स्वतंत्र हैं कि उसे कहाँ जाना है ?
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