इंदौर की वात्सल्यपुरम संस्था की मुसीबतें बढ़ीं, एफआईआर दर्ज
आरोप- संस्था का स्टाफ बच्चों को दे रहा था यातनाएं
इंदौर हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रखा
इंदौर
मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित अनाथ आश्रम वात्सल्यपुरम की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कथित जे जे एक्ट के तहत संस्था के पंजीयन नहीं होने जैसी अनियमितताओं के सामने आने के बाद पहले ही आश्रम को सील किया जा चुका है। इसी आश्रम में रह रही 21 नाबालिग बच्चियों को भी शासन ने अन्यत्र शासकीय संस्था में शिफ्ट कर दिया है। अचानक हुई इस कार्यवाही से प्रभावित वात्सल्यपुरम संस्था जहां एक ओर इंदौर हाई कोर्ट के दरबाजे पर खड़ी हुई है तो वहीं दूसरी ओर आज स्थानीय विजय नगर पुलिस ने संस्था की मुलाज़िम आयुषी, सुजाता, सुमन, आरती और बबली के खिलाफ एक अपाराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है। हालांकि संस्था वात्सल्यपुरम प्रबंधन को इस मुसीबत में भी न्यायालय के आने वाले आदेश पर पूरा भरोसा है। संस्था प्रबंधन ने दावा किया कि वे महज 5 रु प्रति वर्ष में सैकड़ों बच्चों को अब तक शिक्षित करते आ रहे हैं। महज इंदौर में ही नहीं देश के अन्यत्र हिस्सों में भी संस्था के केंद्र संचालित हैं। आईपीसी की धारा 323 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 25 के तहत हाल ही में दर्ज किए प्रकरण को भी संस्था वात्सल्यपुरम शासन की मनमानी करार दे रहा है।
आपको बता दें कि पुलिस द्वारा दर्ज उक्त प्रकरण में संस्था की पूर्व कर्मचारी और केयर टेकर आयुषी, वर्तमान मैनेजर सुजाता, वर्तमान केयर टेकर सोनू चंदेल और आरती पर संस्था में रह रहे बच्चों को उल्टा लटकाकर उनके साथ मारपीट करने, गरम चिमटे से जबर्दस्ती जलाने जैसे गंभीर आरोप हैं। हालांकि पुलिस की एफआईआर में ही यह भी उल्लेख है कि घटनाएँ पुरानी हैं। घटना से , मारपीट से लगने वाली चोट और घाव दोनों ही पुराने हैं। ऐसे में इन आरोपों को सिद्ध करना पुलिस के लिए भविष्य में आसान नहीं होगा। साथ ही संस्था संचालकों के लिए भी फिलवक्त इन आरोपों से खुद को बचाए रखना बेहद मुश्किल होगा।
बच्चों की शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य चिंता का विषय
वात्सल्यपुरम प्रबंधन ने प्रशासन और पुलिस की कार्यवाही को अवैधानिक बताते हुए आरोप लगाया कि लगभग सभी बच्चे संस्था के नजदीक एक प्राइवेट अँग्रेजी मीडियम स्कूल में अध्ययनरत थे। प्रशासन की कार्यवाही के बाद सभी 21 बच्चों की प्राथमिक स्कूली शिक्षा एक तरह से रुक गई है। कुछ ही दिनों बाद बच्चों के इम्तिहान हैं। ऐसे में उनकी शिक्षा प्रभावित होना लाज़मी है। उधर संस्था प्रबंधन ने ये भी आरोप लगाया कि कार्यवाही के बाद से ही लगातार बच्चों को डराया-धमकाया जा रहा है। उन्हें इस बात का यकीन दिलाये जाने की कोशिश की जा रही है कि वे एक अवैध संस्था में रह रहे थे। जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
हाई कोर्ट के आदेश का है इंतजार https://newso2.com/?p=1257
हम अपने पाठकों को इस खबर से लगातार #अपडेट करवा रहे हैं। बीते शुक्रवार को संस्था पर प्रशासन ने अचानक कार्यवाही की थी, जिसके बाद संस्था ने इंदौर हाई कोर्ट की शरण ली थी। इंदौर हाई कोर्ट की युगल पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अवकाश वाले दिन रविवार को प्रकरण की सुनवाई की थी। रविवार को कोर्ट ने राज्य सरकार के सभी जिम्मेदारों से मामले में की गई कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी थी। बुधवार को शासन ने हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंप दी है। जिसके बाद आज हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुन कर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले बीते रविवार को हाई कोर्ट ने बच्चों के अभिभावकों को उनसे मिलने की अनुमति दे दी थी। https://newso2.com/?p=1205