कलेक्टर बदले लेकिन नहीं मिली राहत

किसी की ग्रेचुएटी नहीं मिली तो किसी के झोपड़े का बिल आ रहा हजारों में

इंदौर

साल बदले, कलेक्टर बदले लेकिन आम नागरिकों के हालातों में बहुत बदलाव नहीं दिखता है। जनसुनवाई में पहुंचे सीनियर सिटीजन श्रवण कुमार दुबे अपने दस्तावेज़ दिखाते हुए बताते हैं कि वे जनवरी 2023 से कई बार इंदौर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं लेकिन उनका ग्रेचुएटी का मामला एक टेबल से दूसरी टेबल घूमता रहता है, उन्हें 13 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक उनकी पूरी ग्रेचुएटी नहीं मिल सकी है। तो एक अन्य मामले में सीमा राठौर निवासी जबरन कॉलोनी बताती हैं कि उनके दो ट्यूबलाइट वाले घर में हर माह तीन हजार से चार हजार बिल आ रहा है। कई बार अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी तीन-चार साल से निदान नहीं हुआ है। इसी तरह निरमा मीणा निवासी खंडवा नाका ने कलेक्टर को बताया कि उनके मकान को साजिश के तहत गिरा दिया गया है जिसको उन्होने खून पसीने की कमाई से बनाया था।

सीनियर सिटीजन श्रवण कुमार दुबे ने बताया कि वे इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी पारमार्थिक न्यास में काम करते थे, जिससे उन्हें एक लाख 80 हजार रु ग्रेचुएटी का चाहिए था। कोर्ट के निर्णय के बाद मुझे आधे से अधिक पैसा मिल गया है, 69 हजार रु और ग्रेचुएटी का शेष है जो कोर्ट ने तहसीलदार को रिकवरी के आदेश दिये थे। मैं 1 जनवरी 2023 से लगातार कलेक्टर कार्यालय आ रहा हूँ लेकिन मेरी समस्या का निराकरण नहीं हो सका है।

तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी ने न्यूजओ2 संवाददाता के पूछे जाने पर बताया कि श्रवण दुबे का पैसा कल तक उन्हें मिल जाएगा लेकिन विलंब पर उन्होने स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

सीमा राठौर निवासी जबरन कॉलोनी बताती हैं कि 2020 से उनके घर का बिजली का बिल हजारों रु में आ रहा है जबकि उनका छोटा सा घर है और उनके पति ऑटो रिक्शा चलाते हैं। कई बार अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं। सीएम हेल्प लाइन पर भी शिकायत कर चुके हैं। 85 हजार बिल हमारे ऊपर चढ़ गया है लेकिन निराकरण नहीं हो रहा है।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।