जवाबदेही से क्यों भाग रही है भाजपा ?
इंदौर, 7 नवंबर 2023
यूं तो चुनावी मौसम में हर किसी प्रत्याशी और राजनीतिक दल को अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया माध्यमों की दरकार रहती है। लेकिन इस चुनाव में देखा गया है कि लगातार भाजपा शासित केंद्र और राज्य के जिम्मेदार हों या भाजपा संगठन के पदाधिकारी हों। लगातार हो रही प्रेस वार्ताओं और प्रेस संस्थानों द्वारा आयोजित ‘आमने-सामने’ जैसे कार्यक्रमों से नदारद नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि इससे पहले क्षेत्र क्रमांक 1 के भाजपा- कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर आयोजित आमने सामने कार्यक्रम में भाजपा महासचिव और प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय नहीं पहुंचे थे। इसी तरह आज राऊ विधान सभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी मधु वर्मा भी आमने सामने कार्यक्रम में नदारद नजर आए । इस बीच महज क्षेत्र क्र 4 की भाजपा प्रत्याशी मालिनी गौड़, कांग्रेस प्रत्याशी राजा मंधवानी तथा आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डॉ पीयूष जोशी ने मंच साझा किया और सवालों के जवाब दिये ।
इसी तरह भाजपा प्रत्याशी इंदौर क्षेत्र क्र 2 से रमेंश मेंदोला, इंदौर- 3 से गोलु शुक्ला और राऊ से मधु वर्मा भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। जबकि इन सभी कार्यक्रमों में कांग्रेस प्रत्याशी इंदौर 1 से संजय शुक्ला, इंदौर 2 से चिंटू चौकसे, इंदौर 3 से पिंटू जोशी, राऊ से जीतू पटवारी जनता का सम्मान करते हुए प्रेस के सवालों का जवाब दिया।
इंदौर प्रेस क्लब ने साधी चुप्पी
आज ‘आमने सामने’ कार्यक्रम में राऊ से कांग्रेस प्रत्याशी जीतू पटवारी निर्धारित समय से 15 मिनट विलंब से पहुंचे। यहाँ आते ही उन्होने अपने चिर परिचित अंदाज में मीडिया कर्मियों से कांग्रेस का साथ निभाने की अपील की और साथ ही तंज़ कसते हुए कहा कि इंदौर प्रेस क्लब जैसी संस्था के आमंत्रण भी आखिर क्या वजह है कि भाजपा प्रत्याशी ‘आमने-सामने’ कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं। इसी दौरान जब यहाँ मौजूद पत्रकारों को सवाल पूछने का अवसर दिया गया, तब पत्रकारों द्वारा भी यही सवाल कार्यक्रम में मौजूद कार्यक्रम के मोडरेटर और प्रेस क्लब पदाधिकारियों से भी पूछा गया लेकिन मंच पर मौजूद प्रेस क्लब पदाधिकारी हेमंत शर्मा और प्रदीप जोशी भी इस सवाल पर मौन साध गए। आपको बता दें कि इससे पहले भी स्टेट प्रेस क्लब द्वारा शहर हित में आयोजित एक कार्यक्रम में इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव उपस्थित नहीं हुए थे। ये कार्यक्रम भी शहर में स्ट्रीट dogs की बढ़ती संख्या की रोकथाम विषय पर केन्द्रित था। जिसके लिए प्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार महापौर की अनुपस्थिति कार्यक्रम में मौजूद पशु प्रेमियों, बुद्धिजीवियों के बीच आलोचना का विषय रही थी। हालांकि यह कार्यक्रम पशु प्रेमियों की भावनाओं को भड़काने वाले विवादित बयानों के कारण अंतत: हंगामे की भेंट चढ़ गया था।