विवेचना:
क्या वाकई में भारतीय मतदाताओं की याददाश्त कमजोर है!
महामारी कोरोना के कुशल प्रबंधन पर खूब उठे थे सवाल
क्या वजह है कोरोना कुप्रबंधन सियासी मुद्दा नहीं है !
क्यों पक्ष-विपक्ष और आम मानस का इस ओर ध्यान नहीं है
नेहा जैन, इंदौर
9993777268
20 अक्टूबर 2023
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के हिंदी हार्ट लैंड मध्य प्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव का प्रचार-प्रसार इन दिनों ज़ोर-शोर से जारी है। तीनों ही राज्यों में 2020 में सदी की सबसे बड़ी महामारी कोविड-19 (कोरोना) के पश्चात पहले विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं। लेकिन जैसा कि भारतीय मतदाताओं के मानस के लिए बहुप्रचारित है कि हमारी याददाश्त बेहद कमजोर होती है। मसलन क्या पक्ष, क्या विपक्ष और क्या आम मतदाता? महामारी कुप्रबंधन जैसे मुद्दों से यह चुनाव अछूता ही नजर आ रहा है।
उल्लेखनीय है कोरोना महामारी से ठीक पहले मप्र में कांग्रेस की निर्वाचित सरकार को गिराकर भाजपा ने कथित विधायकों की खरीद-फरोख्त कर अपनी सरकार बना ली थी। इससे इतर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 2018 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की सरकारें निर्वाचित होकर अब दूसरी बार चुनाव मैदान में अपना किला बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
विडंबना देखिये, उक्त तीनों ही राज्यों में कोरोना प्रबंधन को लेकर हजारों तथ्यात्मक रिपोर्टें सरकार के कुप्रबंधन पर सवाल खड़ी करती हुईं प्रकाशित और प्रचारित हुई हैं। हम अब हजारों, लाखों लोगों के असमायायिक काल-कल्वित होने के साक्षी भी रहे हैं। बतौर रिपोर्टर हमने स्वयं योग्य और समुचित उपचार के अभाव में कई ज़िंदगियों को दम तोड़ते देखा है। हम सभी हजारों किलोमीटर दूर से एयरलिफ्ट कर लायी जा रही ऑक्सीज़न (प्राण वायु) के टैंकरों को रोककर अपनी राजनीति चमकाते, फोटो खिंचवाते बेशर्मी से कीमती समय बर्वाद करते राजनेताओं के आचरण के साक्षी रहे हैं। इसी दौर में अस्पतालों की लूट, फरोख्त, शासन-प्रशासन की अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अनदेखी की भी कई रिपोर्ट मीडिया में आर्काइव स्पेस में मौजूद हैं। न्यूज़ ओ2 ने कोरोना कुप्रबंधन जैसे ज्वलंत मुद्दे का चुनाव में पूरी तरह अप्रभावी होने को लेकर जनसामान्य और बुद्धिजीवियों की प्रतिक्रिया जाननी चाही, प्रस्तुत है प्राप्त प्रतिक्रिया के संपादित अंश:-
मानवता के खिलाफ कोविड से बड़ा अपराध नहीं है- डॉ नैयर
वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ एस एस नैयर ने कहा कि कोरोना महामारी एक वैश्विक आपदा थी, जिसे भारत ने बहुत हल्के में लिया। शुरुआत में हम ताली और थाली बजाने में लगे रहे। यह भारत सरकार की सबसे बड़ी असफलता है। मानवता के खिलाफ इससे बड़ा अपराध नहीं है जहां नेगलिजेंसी की वजह से अनेक मौतें हुईं। इसके बाद कोविड वैक्सीन भी एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जनता को यह नहीं भूलना चाहिए इन्हीं सरकारों ने हमें अनाथ छोड़ दिया था, नेता ऑक्सीज़न के टैंकर साथ फोटो खिंचवाने में लगे रहे थे। स्वास्थ्य सेवाओं का आंकलन करें तो भारत ने इससे बुरा वक्त कभी नहीं देखा। यदि कोरोना चुनावी मुद्दा नहीं है तो यह शर्म की स्थिति है। सत्ता ने सारे मुख्य मुद्दों से भटकाकर जातिवाद पर केन्द्रित कर दिया है। ध्रुवीकरण किया जा रहा है।
कोरोना महामारी का दंश जीवन भर के लिए जेहन में छ्प गया है। इस त्रासदी में मैंने अपनी दुनिया, अपनी माँ को इस कुप्रबंधन की वजह से खोया है। कोरोना चुनावी मुद्दा बेशक होना चाहिए, साथ ही सरकार को सबक और संकल्प भी लेना चाहिए, यदि फिर इस तरह की महामारी आती है तो हम उससे निपटने के लिए कितने सक्षम हैं?
ज्ञानेंद्र पुरोहित
सामाजिक कार्यकर्ता
कोविड कुप्रबंधन से मैंने खुद अपने एक पारिवारिक सदस्य को खोया है, मेरी ननंद इतनी गंभीर नहीं थीं जितना हेवी इलाज उन्हें दिया गया। यह बात सही है कि यदि कोविड प्रबंधन सही तरह से होता, इलाज सही मिलता तो कई जानों को बचाया जा सकता था।
नेहा श्रेयांश जैन, ग्रहणी
इस बार चुनावी मुद्दा नहीं है क्योंकि अब कोरोना नहीं आएगा। कोरोना जैसी महामारी सदियों में एक बार आती है। सरकार ने सभी को इलाज और कोरोना स्कीम में मिलने वाले लाभ भी उपलब्ध करवाए।
देवकीनंदन तिवारी,
पूर्व नगर प्रवक्ता, भाजपा, इंदौर
कांग्रेस कोरोना प्रबंधन में भ्रष्टाचार का मुद्दा हमेशा उठाती रही है। हमारे वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने घोषणा भी की है कि कोरोना काल में जिन फ्रंट लाइन वारीयर्स की जानें गईं और उन्हें शिवराज सरकार ने मुआवजा घोषणा के बाद भी नहीं दिया, उन सभी लोगों की जांच कराकर कांग्रेस सरकार सत्ता में आने के बाद उनके परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि देगी। अनुकंपा नियुक्ति देने का भी वचन हमने घोषणा पत्र में दिया है।
राकेश सिंह यादव,
कांग्रेस नेता, इंदौर
बैंक से रिटायर्ड अधिकारी सतीश जैन कहते हैं कोरोना महामारी इस शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी रही। शासन के कुप्रबंधन की वजह से मैंने मां स्वरूप अपनी भाभी जी को खोया है। हम लोग क्यों भूल गए , इस कुप्रबंधन को? निश्चित ही इस चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा होना था। बहुत भ्रष्टाचार हुआ, इस दौरान। रक्षक ही भक्षक बन गए। ईमानदारी से इलाज किया जाता तो कई जाने बच सकती थी।
कोरोना कुप्रबंधन का मुद्दा महत्वपूर्ण है जिसे आपने सही सटीक परिपेक्ष में उठाया है साधुवाद इसमें भ्रष्ट्राचार के साथ जनता की जान के साथ खेला गया खेल है उस समय जल्दी में लिए गए दवाई इंजेक्शन के निर्णय को आज भी जनता भुगत रही हैं परेशान है जिनको कोरोना 3 डोस लगा उनके शरीर में कुछ नई तकलीफ पैदा हुवी हैं चुनाव में यह मुद्दा उठाना चाहिए जनता के सामने आना चाहिए इसके त्रासदी के लोगों के लिए कई घोषणा हुवी पर जिस पर अमल नहीं हुवा