इंदौर। इंदौर स्थित चोइथराम चैरिटेबल ट्रस्ट और टी चोइथराम फाउंडेशन के हक की राशि को विदेशों में ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार चोइथराम इंटरनेशनल फाउंडेशन (CIF) के ट्रस्टियों पर आरोप है कि उन्होंने ग्रीन क्लिफ फाउंडेशन नाम से एक नया विदेशी ट्रस्ट बनाकर इंदौर के ट्रस्ट का पैसा वहां स्थानांतरित कर दिया। दावा किया जा रहा है कि, इस मामले में कानूनी कार्रवाई तेज होने के बाद तीन प्रमुख ट्रस्टियों ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे इंदौर स्थित ट्रस्ट के दावे को मजबूती मिली है।
क्या है पूरा मामला?
नाना छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि इंदौर स्थित चोइथराम चैरिटेबल ट्रस्ट और टी चोइथराम फाउंडेशन को चोइथराम इंटरनेशनल फाउंडेशन (CIF) से अनुदान मिलता था। लेकिन, आरोपों के अनुसार, CIF के प्रमुख ट्रस्टियों – लेखराज पगारानी, किशोर पगारानी और किशोर थनवानी ने यह धनराशि ग्रीन क्लिफ फाउंडेशन नामक विदेशी ट्रस्ट में ट्रांसफर कर दी। इस ट्रस्ट के ट्रस्टी CIF ट्रस्टियों के बच्चे बनाए गए ताकि यह पैसा इंदौर के बजाय विदेशों में ही निवेश हो सके।
ग्रीन क्लिफ फाउंडेशन में शामिल ट्रस्टी:
- लयूक पगारानी (S/O लेखराज पगारानी)
- दविंदर पगारानी (S/O लेखराज पगारानी)
- चांदनी पगारानी (D/O लेखराज पगारानी)
- नताशा पगारानी (D/O लेखराज पगारानी)
- दिनेश पागारानी (S/O किशोर पगारानी)
- मनोज थनवानी (S/O रमेश थनवानी)
- विजय थनवानी (S/O रमेश थनवानी)
कानूनी लड़ाई के बाद तीन ट्रस्टियों का इस्तीफा
इंदौर स्थित ट्रस्ट ने इस वित्तीय अनियमितता के खिलाफ भारतीय अदालतों और लंदन की अदालतों में मामला दर्ज कराया। हाल ही में, CIF ने आधिकारिक ईमेल के माध्यम से इंदौर ट्रस्ट को अनुदान देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद इंदौर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी सतीश पी. मोतीयानि ने कोर्ट में पुख्ता साक्ष्य पेश किए। दावा किया जा रहा है कि, जैसे ही मामला कानूनी कार्रवाई तक पहुंचा, ग्रीन क्लिफ फाउंडेशन के तीन प्रमुख ट्रस्टियों ने इस्तीफा दे दिया:
- दिनेश पगारानी (S/O किशोर पगारानी)
- मनोज थनवानी (S/O रमेश थनवानी)
- विजय थनवानी (S/O रमेश थनवानी)
इंदौर ट्रस्ट के लिए राहत, फंड वापसी की उम्मीद बढ़ी
लंदन स्थित ट्रस्टियों के इस कदम के बाद इंदौर स्थित ट्रस्ट का दावा मजबूत हो गया है। इससे यह संभावना बढ़ गई है कि ट्रस्ट का हक का पैसा वापस इंदौर आ सकेगा।
चोइथराम इंटरनेशनल फाउंडेशन से जुड़े इस मामले ने बड़ा मोड़ ले लिया है। अब यह देखना होगा कि अदालतों में आगे क्या फैसला आता है और क्या इंदौर स्थित ट्रस्ट को उसका पूरा हक मिल पाएगा। इस मामले से जुड़े अन्य ट्रस्टियों की भूमिका भी जांच के दायरे में आ सकती है।
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