नई दिल्ली, 22 फरवरी 2025 – सम्पूर्ण भारत के वकीलों के विरोध-प्रदर्शन और हड़तालों के बाद केंद्र सरकार ने एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 को पुनर्विचार हेतु वापस लेने की घोषणा की है। इस फैसले के बाद वकीलों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी है।

वकीलों की एकता की जीत

इंदौर अभिभाषक संघ के पूर्व-अध्यक्ष गोपाल कचोलिया ने इसे वकीलों की एकता और जागरूकता की जीत बताते हुए कहा,

“अगर सही समय पर वकील समुदाय विरोध नहीं करता तो यह काला कानून लागू हो जाता। इस काले कानून के कारण वकीलों के मौलिक अधिकारों का हनन होता और वकीलों की सर्वोच्च संस्था की स्वायत्तता और स्वतंत्रता प्रभावित होती। वकील इस काले-कानून के कारण निर्भिकता और निडरता के साथ अपने पक्षकारों के लिए लड़ नहीं पाते और जिसके फलस्वरूप पक्षकारों को न्याय नहीं मिल पाता।”

क्यों हुआ विरोध?

केंद्र सरकार के विधि मंत्रालय द्वारा 13 फरवरी 2025 को एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 का मसौदा जारी किया गया था। इसमें कई वकील-विरोधी प्रावधान शामिल थे, जिसके कारण वकीलों ने इसका व्यापक स्तर पर विरोध किया। बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने भी सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है।

सुझाव और आपत्ति प्रक्रिया हुई समाप्त

सरकार ने बिल के संबंध में सुझाव/आपत्ति की प्रक्रिया भी बंद कर दी है, जिससे यह स्पष्ट है कि बिल पर पुनर्विचार किया जाएगा।

वकील समुदाय के संगठित विरोध और हड़तालों के चलते यह बड़ा निर्णय लिया गया, जिससे वकीलों के अधिकार और स्वतंत्रता सुरक्षित रह सके।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार | आरटीआई कार्यकर्ता | राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, UNI से जुड़े। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta और NewsO2.com से जुड़े। निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।