गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के बाद भी सांसद का चुनाव लड़ने का मिला था मौका
जनसमर्थन हासिल करने का अवसर गंवाया अक्षय बम ने
अपने जीवन का पहला राजनीतिक चुनाव लड़ने के पहले ही टेके घुटने
इंदौर
गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के बाद भी कांग्रेस से इंदौर सांसद का टिकट हासिल करने के बावजूद मप्र के इंदौर के उद्योगपति अक्षय बम ने सत्ता पक्ष के सामने घुटने टेक कर जनसमर्थन हासिल करने का अवसर गंवा दिया है। अपने जीवन का पहला चुनाव लड़कर अपने पोलिटिकल कॅरियर की शुरुआत करने जा रहे बम के चुनावी मैदान छोडकर भागने से उन्होने अपनी तमाम राजनीतिक संभावनाओं पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर लिये हैं।
बम हारते तो भी इतिहास में इंद्राज़ हो जाते !
गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के बाद भी आम चुनाव 2024 में इंदौर सांसद का टिकट मिलना और बिना चुनाव लड़े हार जाने का नाम अक्षय कांति बम है। बम ने हुंकार तब भरी थी, जब कांग्रेस के पास मजबूत कैंडिडेट का विकल्प मौजूद नहीं था। यदि बम कांग्रेस से चुनाव लड़ते और हार जाते तो भी इतिहास में हारे हुए प्रत्याशी के रूप में उनका नाम इंदराज हो जाता लेकिन बम ऐसे कमजोर प्रत्याशी निकले जो मैदान छोड़ कर भाग गए।
कांग्रेस और वोटर्स को एन मौके पर आघात, चौतरफा आलोचना
मप्र की आर्थिक राजधानी इंदौर के बड़े कारोबारी अक्षय बम ने कांग्रेस को उस वक्त आघात पहुंचाया जब कांग्रेस के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। नाम वापसी के आखिरी दिन नामंकन वापस लेकर बम ने कांग्रेस और कांग्रेस के परंपरागत मतदाताओं के साथ धोखा किया है। यहां तक कि बम के अधिवक्ता अजय बागड़िया ने यहाँ तक कहा कि यदि कांग्रेस छोड़नी ही थी तो समय के पहले फॉर्म उठा लेते। अब कांग्रेस के पास दूसरे कैंडिडेट को मैदान में उतारने का समय ही नहीं बचा।
जैन समाज में भी रोष
जैन कोटे से टिकट मिलने के बाद जैन समाज को खुशी थी कि उन्हें प्रतिनिधित्व मिला लेकिन अक्षय के इस दुस्साहस की समाज में भरसक आलोचना हो रही है। समाज के पदाधिकारी सतीश जैन ने कहा कि जैन अनुयायी अपनी जुबान, अपने वचन के लिए पहचाना जाता है, अक्षय बम ने जो किया वह शर्मसार करने वाला है।
कहा तो ये भी जा रहा है अक्षय बम के खिलाफ एक 17 साल पुराने मामले में हत्या के प्रयास की धारा हाल ही में बढ़ाई गई है जिससे बम ने डर कर भाजपा जॉइन कर ली। बम के वकील अजय बागड़िया ने ‘सबकी खबर’ यूट्यूब चैनल को दिए साक्षात्कार में इसे कमजोर तथ्य बताया। इसी मामले में केस लड़ने वाले अधिवक्ता बागड़िया ने बताया कि जो धारा बढ़ाई गई है वह आम बात है। इस मामले में सुनवाई 10 मई को थी। अक्षय चाहते तो चुनाव लड़ सकते थे। मुकदमे तो कई बड़े बड़े नेताओं पर चले हैं लेकिन डर ही था तो फिर चुनाव लड़ने उतरे क्यों?
राजनीतिक भविष्य पर फिलवक्त पूर्ण विराम !
ये बात सही है कि बम की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। वे अपने चुनावी प्रचार में नेता कम कवि, साहित्यकार ज्यादा दिखे हैं। कांग्रेस से चुनाव लड़ने पर बम को कम से कम 4-5 लाख कांग्रेस का पारंपरिक मतदाता का समर्थन मिलता (पिछले आम चुनाव में इंदौर कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले पंकज संघवी को 5 लाख से अधिक वोट मिले थे) लेकिन इतिहास गवाह है हाल में भाजपा में जितने भी कांग्रेसी गए हैं वे केवल भीड़ में शामिल हुए हैं चाहे पूर्व विधायक संजय शुक्ला हों या विशाल पटेल या नरेंद्र सलूजा या अन्य ( सलूजा का एकमात्र टारगेट कमलनाथ और कांग्रेस को टारगेट कर खुद के दिल पर मलहम लगाना है)
सोशल मीडिया पर भी बम की आलोचना
अक्षय द्वारा फोड़े गए बम की सोशल मीडिया पर भी भरसक आलोचना हो रही है। कई व्हाट्सएप ग्रुप में 29 अप्रैल को हुए इस कांड को लोकतंत्र की हत्या, विभीषण, जयचंद आदि बताया जा रहा है।
इंदौर कांग्रेस का समर्थन नोटा को
कांग्रेस प्रत्याशी के पीठ दिखाने के बाद अब कांग्रेस नोटा के प्रचार में जुट रही है। प्रत्याशी विहीन इंदौर कांग्रेस ने किसी निर्दलीय को भी सपोर्ट करने से परहेज किया है। कांग्रेस भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के खिलाफ नोटा को समर्थन देने की तैयारी कर रही है।https://newso2.com/akshay-bam-lost-the-opportunity-to-garner-public-support