संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के बावजूद हम सत्ता से सवाल नहीं पूछ रहे हैं, आखिर इतना भय किस लिये! यह परिस्थिति क्यों उत्पन्न हुई! हमें विचार करना होगा – अनिल त्रिवेदी

इंदौर, 9 मई 2024

 लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में ‘लोकतंत्र बचाओ समिति’ ने आज इंदौर के जाल सभागृह में “जीवंत लोकतंत्र और हमारी भूमिका” विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया । इस परिचर्चा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ गांधीवादी विचारक अनिल त्रिवेदी ने कहा कि भारतीय समाज का दर्शन और विचार “बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय” का है, यही कल्याणकारी राज्य की आत्मा है। आज की राजनीति पूंजीपतियों के चंगुल में चली गई है। युवाओं में बेरोजगारी का आलम यह है कि हमारे एक शीर्ष शिक्षा संस्थान आईआईटी बॉम्बे के ही 35 प्रतिशत डिग्री धारी छात्रों को नौकरी नहीं मिल पाई, अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य संस्थानों के हालात क्या होंगे!

अनिल त्रिवेदी ने आगे कहा कि यह हमारी यानि भारत के नागरिकों की गलती है कि वो चकाचौंध से लड़ नहीं पा रहे हैं । इस चकाचौंध के पीछे जो अंधेरा है, उससे लड़ने का कलेजा हमारे पास होना चाहिए क्योंकि यह महात्मा गांधी का देश है जिन्होंने हमारे सामने अन्याय से लड़ने की मिसाल पेश की है। हमारे सामने नचिकेता का उदाहरण भी है, जो यमराज से शास्त्रार्थ करने का माद्दा रखता था, लेकिन आज यह स्थिति क्यों पैदा हो गई कि हम संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के बावजूद सत्ता से सवाल नहीं पूछ पा रहे हैं, आखिर इतना भय किस लिए, यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई, हमें विचार करना होगा !

आयोजक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार परिचर्चा के मुख्य वक्ता अशोक वानखेडे ने अपने उद्बोधन का आरंभ संस्कृत के एक श्लोक से करते हुए आगे कहा कि इंदौर में लोकतंत्र की जो हत्या हुई है, मैं उसकी श्रद्धांजलि सभा में शिरकत करने आया हूं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे कभी अपने शहर में आकर ऐसी परिस्थितियों में अपने विचार व्यक्त करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मैं इंदौर में पला-बढ़ा हूं, यह एक ऐसा शहर रहा है, जहां राजनीतिक दलों और उनके नेताओं में मतभेद तो रहे हैं पर मनभेद कभी नहीं रहे  …लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिल्ली में तानाशाही वृत्ति का जो वटवृक्ष पनपा, उसकी कुछ शाखाएं इंदौर तक आ गई हैं, जिससे इंदौर विषैला हो गया है। मैं आज इंदौर को जगाने आया हूं कि एक ओर तो हम देश में नंबर एक के रूप में पहचाने जाते हैं, वहीं दूसरी ओर क्या हमें लोकतंत्र की हत्या के पहले शहर के रूप में भी जाना जाएगा! उन्होंने कहा कि कांग्रेस का नेता यदि फार्म भरता और वापस ले लेता तो कोई बात नहीं होती लेकिन जिस तरह से इंदौर में हुआ, वह माफ़ नहीं किया जा सकता । सूरत और इंदौर में जो हुआ वह इस बात का ट्रेलर है कि यदि बीजेपी लोकसभा चुनाव में फिर सत्ता में लौटी तो क्या-क्या होगा! संविधान का क्या होगा, लोकतंत्र का क्या होगा, इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है! वानखेड़े ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री की शैली एक तानाशाह की है और इसलिए मैं उसे पीएम मानने से इंकार करता हूं! एक तानाशाह को तानाशाह ही कहा जा सकता है क्योंकि जब-जब आप उसे प्रधानमंत्री कहेंगे, आप लोकतंत्र का अपमान करेंगे, आप स्वयं का अपमान करेंगे!

60 प्रतिशत मत ‘नोटा’ को मिले तो वहां चुनाव रद्द होकर, नया चुनाव होगा- वानखेड़े

वानखेड़े ने आगे कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने लोकतंत्र के भविष्य के बारे में जो आशंकाएं व्यक्त की थीं, आज हम उन्हीं आशंकाओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड इस देश में हुआ अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है लेकिन प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर देश को बरगलाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। वानखेड़े ने कहा कि इंदौर में जिस तरह से लोकतंत्र की हत्या हुई है, उसका आपको विरोध करना होगा और वह विरोध ‘नोटा’ के माध्यम से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला है कि यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 60 प्रतिशत मत ‘नोटा’ को मिले तो वहां चुनाव रद्द होकर, नया चुनाव होगा। इसलिए आप चाहे जिस भी विचारधारा से आते हों, इंदौर की इज्जत बचाने के लिए, उस पर लगे काले धब्बे को मिटाने के लिए, आप सब मिलकर ‘नोटा’ का बटन दबाओ और यह दिखा दो कि इंदौर में डरपोक नहीं रहते, उनमें लड़ाई लड़ने का माद्दा है।

कार्यक्रम में ये हुए  शामिल

कार्यक्रम में विशेष अतिथि थे स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खरीवाल और कार्यक्रम का संचालन सुश्री मनीषा गौर ने किया। कार्यक्रम के दौरान खचाखच भरे जाल सभागृह में प्रमुख रूप से महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पूर्व विधायक अश्विन जोशी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव, कांग्रेस के पूर्व शहर अध्यक्षद्वय  विनय बाकलीवाल एवं प्रमोद टंडन, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम, श्रीमती रीना बौरासी सेतिया, सच सलूजा, देवेंद्र सिंह यादव, संजय बाकलीवाल, राकेश सिंह यादव, महिला कांग्रेस की शहर अध्यक्ष श्रीमती सोनिला मिमरोट, राजेश शर्मा, ठाकुर जितेंद्र सिंह, जैनेश झांझरी, वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन, जयकिशन बौरासी, हिमानी सिंह, पुखराज राठौर, अशोक तिवारी आदि उपस्थित थे।