इंदौर, 6 जून 2025। इलाज में लापरवाही के चलते हुई मौत के मामले में इंदौर की अदालत ने CHL अस्पताल और तीन डॉक्टरों—डॉ मनीष पोरवाल, डॉ पीयूष गुप्ता और डॉ अरुण चोपड़ा—के खिलाफ धारा 304A IPC के तहत जमानती वारंट जारी किए हैं। मामला 2019 का है, जब हृदय रोगी पांडुरंग महाजन को 21 जनवरी को CHL अस्पताल में भर्ती किया गया था। कार्डियक सर्जन डॉ मनीष पोरवाल ने बायपास सर्जरी की सलाह दी, जिस पर परिजनों ने सहमति दी थी। 31 जनवरी को सर्जरी के बाद मरीज की हालत बिगड़ी और 1 फरवरी को उसकी मृत्यु हो गई।
परिजनों ने बाद में पाया कि सर्जरी डॉ पोरवाल की बजाय जूनियर डॉक्टर डॉ पीयूष गुप्ता ने की थी, जो सर्जरी के लिए पात्र नहीं थे। परिजनों ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। ICU में CPR देने वाले डॉ अरुण चोपड़ा को मेडिकल गाइडलाइंस के अनुसार सक्षम नहीं माना गया। शिकायत के बाद 6 नवंबर 2020 को परिजनों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया। 17 मई 2025 को हुई सुनवाई में अदालत ने दस्तावेजों के आधार पर चारों आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया और प्रत्येक के विरुद्ध ₹5000 के जमानती वारंट जारी किए।
परिजनों का कहना है कि वे न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रखेंगे। जन स्वास्थ्य अभियान मध्यप्रदेश ने सरकार से इलाज में लापरवाही बरतने वाले अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई और निजी चिकित्सा संस्थानों के नियमन हेतु क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट तत्काल लागू करने की मांग की है।