नशा मुक्ति पर आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने जताई चिंता
इंदौर। मध्य प्रदेश को विकास की राह पर आगे बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि प्रदेश में फैलती नशे की प्रवृत्ति पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जाए। “नशा मुक्त भारत” की दिशा में प्रयासों को सशक्त करने के लिए सोशल पुलिसिंग को वक्ताओं ने सबसे आवश्यक बताया। यह विचार यूनिवर्सल पीस एंड सोशल डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा इंदौर स्कूल ऑफ़ सोशल वर्क के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किए गए।
डीआईजी नारकोटिक्स बोले — नशा ही नाश है
कार्यशाला का शुभारंभ एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सभागार में डीआईजी नारकोटिक्स महेश चंद्र जैन ने किया। उन्होंने कहा, “पहले यदि एक-दो किलो नशीला पदार्थ जब्त होता था तो उसे उपलब्धि माना जाता था। अब हालत यह है कि जितना भी जब्त करो, वह विशाल खपत के आगे बहुत कम पड़ता है। नशा हर जघन्य अपराध की जड़ है।” उन्होंने आमजन से अपील की कि नशे को केवल अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक विनाश के रूप में भी समझें।
सोशल पुलिसिंग ही समाधान — डॉ. अरविंद घनघोरिया
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने कहा कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सामाजिक भागीदारी और सोशल पुलिसिंग। उन्होंने बताया कि उनके कॉलेज ने शराब, सिंगल यूज़ प्लास्टिक, धूम्रपान और मांसाहार के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाया है।
ड्रग्स अब छोटे शहरों तक — डॉ. रामगुलाम
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रामगुलाम ने बताया कि जो ड्रग्स पहले केवल मेट्रो शहरों तक सीमित थे, वे अब छोटे शहरों में भी आसानी से पहुंचने लगे हैं। उन्होंने एक गंभीर आंकड़ा साझा करते हुए कहा कि “सड़क हादसों में 95% मामलों में ड्राइवर नशे में पाया गया।”
तीन सत्रों में हुई विस्तृत चर्चा
कार्यशाला के दूसरे सत्र में पुणे से आए डॉ. अमर सिंह ने नशे पर नियंत्रण के तरीकों और उनकी प्रभावशीलता पर विस्तार से जानकारी दी। इस सत्र की अध्यक्षता निखिल ओझा ने की।
तीसरे सत्र में डॉ. अतुल अंबेडकर ने युवाओं में बढ़ती नशे की आदत और शासन के प्रयासों पर प्रकाश डाला। इस सत्र की अध्यक्षता पूर्व कुलपति डॉ. निशा दुबे और डॉ. उज्जवल देसाई ने की।
चौथे सत्र में एम्स भोपाल के डॉ. तमोमुद मोदक, डॉ. पूनम माथुर और डॉ. उज्जवल सरदेसाई ने नशे की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण प्रस्तुत किया।
युवाओं ने रखे अपने विचार
कार्यशाला के अंत में उपस्थित युवाओं के साथ ग्रुप डिस्कशन कराया गया। विषय प्रवर्तन डॉ. रामगुलाम राजदान ने किया। इस सत्र में युवाओं ने नशे से लड़ने के लिए समुदाय की भूमिका और शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
सम्मान और संचालन
कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था का परिचय डॉ. अनिल भंडारी ने दिया। अतिथियों का स्वागत आलोक खरे, प्रणिता दीक्षित, याकूब मेनन, फादर पायस, मिलिंद माइंदे और आरती जायसवाल ने किया। संचालन श्याम पांडे और आभार प्रदर्शन शफी शेख ने किया।