भरण-पोषण के मामले में बेटा ही नहीं बेटी की भी है पूरी ज़िम्मेदारी,इंदौर की कोर्ट का एतिहासिक फैसला

कोरोना काल में वृद्ध माँ को घर से निकाला

कोर्ट ने दिया न्यायदान: बेटी को प्रति माह भरण पोषण दिये जाने के आदेश दिये

इंदौर

माता-पिता के भरण पोषण के मामले में आपने अधिकतर बेटों को ज़िम्मेदारी दिये जाने के फैसले सुने होंगे लेकिन मप्र की एक अदालत ने बेटी को माँ को भरण पोषण देने का एतिहासिक फैसला दिया है।  मध्य प्रदेश के इंदौर की एक अदालत ने उस 78 वर्षीय वृद्ध महिला को न्याय दान देते हुए उसकी एकलोती बेटी को आदेश दिया है कि वह प्रति माह अपनी माँ को 3000 रु अदा करे। दरअसल पीड़ित माँ ने पहले स्थानीय पुलिस की शरण की। समुचित सुनवाई नहीं होने पर उसने न्यायालय (COURT ) का रुख किया। कोर्ट ने माना कि बेटी और दामाद का दायित्व है कि वे अपनी माँ का भरण पोषण करें। इसी क्रम में बेटी को अपनी माँ को तीन हजार रु प्रति माह अदा करना चाहिए। कुटुंब न्यायालय का यह फाइसल बुजुर्गों के भरण पोषण की दिशा में एक उम्मीद की किरण दिखाई देती है।

newso2 को अधिवक्ता शैल राजपूत ने बताया कि 78 वर्षीय पीड़िता कमलेश तोमर के पति मप्र राज्य सड़क परिवहन निगम में चालक थे, जिनकी मृत्यु 2001 में हो गई थी। स्वर्गीय पति के वीआरएस और पीएफ के साढ़े चार लाख रु पीड़िता को मिले थे। पीड़िता की एकलौती पुत्री राजकुमारी जादौन और उसके पति चरण सिंह जादौन निवासी इंदौर पीड़िता को मुरैना का घर बेंच कर इंदौर अपने साथ ले आए। बेटी दामाद ने बुजुर्ग माता को आश्वासन दिया कि वे उसका ख्याल रखेंगे। और पुस्तनी मकान बेंचकर मिले 3 लाख 55 हजार रु स्वयं रख लिए। पुत्री राजकुमारी जादौन ने अपनी बिटिया की शादी के लिए भी बुजुर्ग माता से पीएफ के पूरे पैसे ले लिए। इस प्रकार जब माता जी के साढ़े आठ लाख रु पूरे बेटी-दामाद ने खींच लिए तब बेटी ने माँ को प्रताड़ित करना शुरू किया और 2020 में कोरोना काल में माँ को घर से निकाल दिया। इसके बाद बुजुर्ग माताजी ने बाणगंगा पुलिस की मदद ली । वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद बेटी- दामाद 1500 रु प्रति माह वृद्ध महिला को देने तैयार हुए, लेकिन दो माह देने के बाद वो भी बंद कर दिये। इसके बाद बुजुर्ग महिला ने न्यायालय की शरण ली।

कुटुंब न्यायालय (Family Court) की अति. प्रधान न्यायधीश श्रीमती माया विश्वलाल ने 17 मई 2024 को फैसला देते हुए राजकुमारी जादौन को प्रति माह अपनी माता जी कमलेश तोमर को 3000 रु भरण पोषण के रूप में दिये जाने के आदेश दिये। आदेश के अनुसार यह राशि भरण पोषण याचिका (12 मार्च 2021) से अदा की जावे। भरण पोषण की उपरोक्त राशि प्रत्येक माह की 10 तारीख से पूर्व अदा की जावे। कोर्ट ने प्रार्थी कमलेश के प्रकरण का व्यय भी उनकी बेटी राजकुमारी को वहन करने के आदेश दिये हैं।

By Neha Jain

नेहा जैन मध्यप्रदेश की जानी-मानी पत्रकार है। समाचार एजेंसी यूएनआई, हिंदुस्तान टाइम्स में लंबे समय सेवाएं दी है। सुश्री जैन इंदौर से प्रकाशित दैनिक पीपुल्स समाचार की संपादक रही है। इनकी कोविड-19 महामारी के दौरान की गई रिपोर्ट को देश और दुनिया ने सराहा। अपनी बेबाकी और तीखे सवालों के लिए वे विख्यात है।