कूटरचित दस्तावेज बनवाकर किया धर्म परिवर्तन, कोर्ट ने सुनाई कड़ी सजा
इंदौर,21 फरवरी 2025: जिला अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी अभिषेक जैन ने बताया कि नवम अपर सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह कुशवाह की अदालत ने धर्म परिवर्तन और फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले में तीनों आरोपियों को 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
आरोपियों के नाम:
- इलियास अहमद (33 वर्ष), निवासी खजराना, इंदौर
- प्रार्थना शिवहरे (27 वर्ष), निवासी शाजापुर
- मोहम्मद जफर अली (37 वर्ष), निवासी शाजापुर
कोर्ट का फैसला:
धारा 467 एवं 471 भा.दं.सं. – 10-10 वर्ष सश्रम कारावास व 5000-5000 रुपये अर्थदंड
धारा 5 धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 – 7 वर्ष सश्रम कारावास व 50,000 रुपये अर्थदंड
धारा 420 एवं 468 भा.दं.सं. – 5-5 वर्ष सश्रम कारावास व 5000-5000 रुपये अर्थदंड
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सुरेंद्र सिंह वास्केल ने पैरवी की।
क्या था मामला?
पीड़ित व्यक्ति जैन धर्म का अनुयायी है। उसकी शादी 30 जून 2014 को हुई थी। शादी के बाद 20 जुलाई 2015 को उसके बेटे का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले में हुआ। 25 फरवरी 2018 को उसकी पत्नी अपने बेटे को लेकर शाजापुर स्थित रिश्तेदारी में गई, लेकिन बाद में वह इलियास कुरैशी नामक व्यक्ति के साथ चली गई।
पीड़ित ने पहले पत्नी और बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पत्नी नहीं मिली। बाद में उसे पता चला कि इलियास कुरैशी ने न केवल उसके बेटे का जबरन खतना करवा दिया, बल्कि उसका नाम बदलकर मुस्लिम धर्म के अनुसार रख दिया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने उसके बेटे के जन्म प्रमाण पत्र में फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे मुस्लिम दिखाने की कोशिश की और स्कूल में भी प्रवेश दिलाया।
पुलिस जांच और कोर्ट का फैसला
जांच में सामने आया कि आरोपीगण ने मिलकर बालक के जन्म प्रमाण पत्र और अन्य सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना की थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 भा.दं.सं. व धारा 5 धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 के तहत मामला दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने आरोपियों को दोषी मानते हुए कड़ी सजा सुनाई।