हाईकोर्ट और केबिनेट के फैसलों की अनदेखी पर नाराजगी

इंदौर।
हाईकोर्ट और केबिनेट के फैसलों को नजरअंदाज करने से नाराज मेडिकल कॉलेज के टीचर-डॉक्टर्स और प्रोफेसर्स ने आज से शासन के खिलाफ काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि 24 फरवरी तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम:
- 21 फरवरी (शुक्रवार): भोजन अवकाश (1:30 बजे से 2:00 बजे तक) में कार्यस्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन।
- 22 फरवरी (शनिवार): सामूहिक उपवास और लंच टाइम में मास्क पहनकर प्रदर्शन।
- 24 फरवरी (सोमवार): सामूहिक उपवास और चिन्हित अस्पतालों में अमानक दवाइयों की सांकेतिक होली।
- 25 फरवरी (मंगलवार): प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन की शुरुआत।
विरोध के मुख्य कारण:
- हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना:
- 4 दिसंबर 2024 को उच्च न्यायालय ने हाई पॉवर कमिटी बनाने और डॉक्टर्स के मुद्दों को हल करने का आदेश दिया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ।
- समयमान चयन वेतनमान में देरी:
- कई चिकित्सकों को कैबिनेट द्वारा पारित वेतनमान का लाभ अभी तक नहीं मिला है, और कुछ स्थानों पर आदेश त्रुटिपूर्ण हैं।
- सातवें वेतनमान का लाभ:
- 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ देने और एनपीए की गणना उसी अनुरूप करने का आदेश अभी तक लागू नहीं किया गया।
- अमानक दवाइयों की आपूर्ति:
- एमपीपीएचसीएल द्वारा सप्लाई की गई कई जीवन रक्षक दवाइयां अमानक पाई गईं, लेकिन निर्माताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- सुरक्षा व्यवस्था में कमी:
- कोलकाता की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स की रिपोर्ट के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं की गई।
- प्रशासनिक दखलंदाजी:
- तकनीकी विशेषज्ञों के स्थान पर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति से चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन को और उग्र रूप देंगे।