MP हाईकोर्ट ने कहा – वैध दस्तावेज वालों को संक्षिप्त प्रक्रिया से नहीं हटा सकते

इंदौर, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर खंडपीठ ने नजूल भूमि पर अतिक्रमण के आरोप में जारी सरकारी नोटिस को रद्द कर दिया। यह फैसला रिट याचिका क्रमांक 21948/2019 और इससे जुड़ी 16 अन्य याचिकाओं में बीती 11 मार्च को दिया गया।

न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने कहा कि जिन लोगों के पास वैध दस्तावेज हैं और जो लंबे समय से भूमि पर काबिज हैं, उन्हें बिना उचित प्रक्रिया के बेदखल नहीं किया जा सकता।

मामला क्या है?

यह मामला देवास जिले से जुड़ा है, जहाँ 18 जनवरी 2019 को तहसीलदार ने नीरज व अन्य याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि उन्होंने नजूल भूमि पर मकान बनाकर अतिक्रमण किया है।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत में बताया कि उनके पास 1968 का बिक्री विलेख और 1970 में नगर निगम की निर्माण अनुमति है। वे पिछले 48 वर्षों से वहां निवास कर रहे हैं।

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार ने दावा किया कि यह भूमि नजूल है और 2018 में राजस्व बोर्ड के आदेश के तहत कार्रवाई की गई थी। लेकिन कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता उस आदेश में पक्षकार नहीं थे।

सुप्रीम कोर्ट का हवाला

कोर्ट ने ‘थुम्माला कृष्ण राव बनाम राज्य सरकार’ मामले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि जब भूमि स्वामित्व को लेकर वास्तविक विवाद हो, तो सरकार एकतरफा कार्रवाई नहीं कर सकती।

कोर्ट का निर्णय

न्यायालय ने कहा कि यह तथ्यात्मक विवाद है और इसे सिविल कोर्ट में ही तय किया जाना चाहिए। इसलिए तहसीलदार का नोटिस कानूनन सही नहीं है और उसे रद्द किया जाता है। राज्य सरकार चाहें तो सिविल कोर्ट में दावा कर सकती है।

प्रतिक्रियाएं

याचिकाकर्ताओं के वकील आयुष्यमान चौधरी ने इसे आम नागरिकों के अधिकारों की जीत बताया।

By Jitendra Singh Yadav

जितेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ पत्रकार | आरटीआई कार्यकर्ता | राजनीतिक विश्लेषक 15+ वर्षों का पत्रकारिता अनुभव, UNI से जुड़े। Save Journalism Foundation व इंदौर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के संस्थापक। Indore Varta और NewsO2.com से जुड़े। निष्पक्ष पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित।

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